Home / लेख (page 11)

लेख

बापू और बाबा साहेब- कितने दूर,कितने पास

विवेक शुक्ला जाने माने पत्रकार हैं। आज उनका यह लेख पढ़िए जो गांधी और बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के आपसी संबंधों को लेकर है। आज बाबा साहेब की जयंती पर विशेष- ============== महात्मा गांधी और बाबा साहेब अंबेडकर के बीच 1932 के ‘कम्यूनल अवार्ड’ में दलितों को पृथक निर्वाचन का स्वतन्त्र राजनीतिक अधिकार …

Read More »

 अहमद नदीम क़ासमी : भारतीय उपमहाद्वीप का सरमाया

आज भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े लेखक-शायर अहमद नदीम क़ासमी की जयंती है। जब छोटा था तो टीवी पर किसी मुशायरे की रेकार्डिंग आ रही थी तो उसमें वह भी सुना रहे थे। उनका एक शेर आज तक याद रह गया- ‘सुबह होते ही निकल पड़ते हैं बाज़ार में लोग/गठरियाँ सर …

Read More »

‘देस’ की तलाश में मैथिली सिनेमा

मैथिली सिनेमा पर एक अच्छा लेख ‘प्रभात खबर’ के दीवाली विशेषांक में आया है। लिखा है लेखक-पत्रकार अरविंद दास ने। जिन्होंने न पढ़ा हो उनके लिए साभार प्रस्तुत कर रहे  हैं- =================== वर्ष 1937 में ‘न्यू थिएटर्स’ स्टूडियो की ‘विद्यापति’ फिल्म खूब सफल रही थी. देवकी बोस के निर्देशन में बनी यह फिल्म खास तौर से …

Read More »

बदलते समय के सांस्कृतिक क्षरण की दो कहानियां

कथाकार-उपन्यासकार संतोष दीक्षित ने इस लेख में रेणु जी की कहानी ‘रसप्रिया’ और मनोज रुपड़ा की कहानी ‘साज़-नासाज़’ के बहाने सांस्कृतिक क्षरण को रेखांकित किया है। एक अच्छा लेख- =================  ‘रसप्रिया’ रेणु की प्रारंभिक कहानियों में से है। इसका मर्म रेणु के ही नहीं, हिंदी के सम्पूर्ण कथा साहित्य तक …

Read More »

रामविलास पासवान की जीवनी का प्रकाशन

रामविलास पासवान की जीवनी वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप श्रीवास्तव लिख रहे थे। यह जानकारी मुझे थी। अब वह जीवनी प्रकाशित होकर सामने आ गई है। पेंगुइन से प्रकाशित इस जीवनी में रामविलास पासवान के जीवन संघर्ष, लगभग पाँच दशकों के राजनीतिक जीवन के बारे में विस्तार से लिखा ही गया है। …

Read More »

कैंजा, साबुली कैंजा और मनोहर श्याम जोशी का उपन्यास ‘कसप’

कुछ उपन्यासों के प्रमुख किरदार इतने हावी हो जाते हैं कि कई संगी किरदारों पर ध्यान ही नहीं जाता। मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास ‘कसप’ की साबुली कैंजा ऐसी ही एक किरदार हैं। मुदित विकल ने उस किरदार पर, कैंजा शब्द पर बहुत सुंदर लिखा है। साजा कर रहा हूँ …

Read More »

कोरोना काल में सोशल बिहेवियर को रेखांकित करने वाली किताब

वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल की किताब प्रकाशित हुई है ‘कोरोना काल की दंश कथाएँ’। शिवना प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब की समीक्षा की है हेमंत पाल ने। आप भी पढ़ सकते हैं-  ==============   इक्कीसवीं सदी का बीसवां साल सदियों का दस्तावेज बन गया है। कोविड 19 के रूप में …

Read More »

दुर्गा पूजा की यादें

सुहैब अहमद फ़ारूक़ी पुलिस अधिकारी हैं, जाने माने शायर हैं, साहित्य प्रेमी हैं। आज से दुर्गा पूजा शुरू हुआ है। ज़रा उनकी यह अनुभव कथा पढ़िए- =========================== पुलिस ड्यूटी की अहमियत  असंगत व ग़ैर-मामूली समय ही में महसूस होती है। आम समय में तो मामूली लोग भी ‘संगत’ कर लेते …

Read More »

गांधीजी गेहूं की खेत की तरह हैं तो टैगोर गुलाब बाग की तरह

संजय कृष्ण पेशे से पत्रकार हैं और चित्त से शोधार्थी। उन्होंने कई दुर्लभ किताबों की खोज की है और उनका प्रकाशन भी करवाया है। उनका यह लेख चरखे को लेकर गांधी-टैगोर बहस के बहाने कई बड़े मुद्दों को लेकर है- ======================= सन् 1915 से लेकर 1947 तक के कालखंड को …

Read More »

टीआरपी के बलवे में जिम्मेदार पत्रकारिता की हत्या

इस लेख के लेखक अजय बोकिल नईदुनिया सहित कई प्रमुख समाचार पत्रों में जुड़े रहे हैं। उनका एक कहानी संग्रह ‘पास पड़ोस’ के अलावा शोध ग्रन्थ ‘श्री अरविंद की संचार अवधारणा’ प्रकाशित हैं। फिलहाल वे ‘सुबह सबेरे’ (भोपाल) के वरिष्ठ संपादक हैं- ============== एक संदिग्ध मौत कितने चेहरे बेनकाब कर …

Read More »