प्रवीण कुमार झा की चर्चित पुस्तक ‘कुली लाइंस’ पर यह टिप्पणी लिखी है कवि यतीश कुमार ने- मॉडरेटर ========================== अखिलेश का ‘निर्वासन’ पढ़ा था और वो मेरा ‘गिरमिटिया’ शब्द से पहला परिचय था। जहाँ सूरीनाम,1985 में आए एक्ट का जिक्र था। गोसाईगंज से सूरीनाम तक रामअजोर पांडे के बाबा और बिहार …
Read More »गांधी का कला व सौंदर्य दर्शन पूर्णतः प्रकृति से उपजा सच था
कलाओं को गांधी ने किस तरह से प्रेरित किया इसको लेकर एक छोटा सा लेख लिखा है कलाकार-लेखक राजेश्वर त्रिवेदी ने-मॉडरेटर ==================================================== गांधी ने भी अन्य लोगों की तरह एक सीधे,सरल और बेहद विनय पूर्ण ढंग से कला को आत्म की अभिव्यक्ति कहकर संबोधित किया है। विभिन्न कलाओं को लेकर …
Read More »जो विस्मित नहीं हो सकते, वे अधूरे मनुष्य हैं
‘बनास जन’ पत्रिका के नए अंक में कई रचनाएँ पठनीय हैं। आज पढ़िए वरिष्ठ कवि-लेखक कुमार अम्बुज का गद्य, बनास जन से साभार- मॉडरेटर =============================== संसार के आश्चर्य (जो विस्मित नहीं हो सकते, वे अधूरे मनुष्य हैं।) कुमार अम्बुज आश्चर्य की पिछली कहानियों में जो बता चुका हूँ, …
Read More »धर्म धंधा हैं । कोई शक?
हरिशंकर परसाई के निबंध ‘वैष्णव की फिसलन’ पर युवा लेखिका-प्राध्यापिका राजकुमारी का लेख- प्रस्तुत निबंध परसाई जी के मेरे रुचिकर निबंधो में से एक हैं । आधुनिक युग के व्यंग्य निबंधकारों में परसाई जी का नाम मुख्य रूप से आता हैं साहित्य के पुरोधा हरिशंकर परसाई जी के इस निबंध …
Read More »फ़िराक़ गोरखपुरी पर मनीषा कुलश्रेष्ठ की टिप्पणी
फ़िराक़ गोरखपुरी के रुबाई संग्रह ‘रूप’ पर यह टिप्पणी जानी मानी लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने लिखी है। इस लेख को पढ़ते हुए फ़िराक़ साहब की कई रुबाइयाँ मुझे याद आ गई। जैसे, जादू भरे भरे ये नैना रस के/साजन कब ऐ सखी थे अपने बस के/ये चाँदनी रात ये बिरह …
Read More »‘सोचो अगर हम इंडिया न गए होते, तो इंडिया आज कहाँ होता?’
नॉर्वे प्रवासी डॉक्टर प्रवीण कुमार झा ने ‘कुली लाइंस’ किताब लिखकर इंडियन डायस्पोरा की दास्तान सुनाई। आज स्वाधीनता दिवस के दिन वे परदेस में भारतीय होने का मतलब समझा रहे हैं। उनकी और जानकी पुल की तरफ़ से सबको आज़ादी मुबारक-मॉडरेटर ======================================== गाड़ियों की सस्ती-टिकाऊ सर्विस के चक्कर में गाड़ी-मिस्त्री …
Read More »बाल की तलाश
‘प्रेम लहरी’ के लेखक त्रिलोक नाथ पाण्डेय वर्षों गुप्तचर अधिकारी के रूप में कश्मीर में रहे हैं. कोई आधी सदी पूर्व अपनी गुमशुदगी से एशिया के कई देशों में हिंसा भड़का देने वाली हजरतबल के पवित्र बाल की घटना के वे गंभीर अध्येता रहे हैं. हजरतबल में रखा पवित्र बाल …
Read More »टोनी मॉरिसन और अफ्रो अमेरिकी लेखन
प्रसिद्ध अफ्रो-अमेरिकी लेखिका टोनी मॉरिसन का निधन हो गया। उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘बिलवेड'(beloved) के बहाने उनके लेखन पर यह लम्बा लेख लिखा है अंग्रेज़ी साहित्य की विद्वान विजय शर्मा ने- =========== टोनी मॉरीसन का बिलवड : अफ़्रो-अमेरिकन ला योरोना विजय शर्मा “जब तुम्हें एक औरत मिलती है जो तुम्हारे मन …
Read More »लव इन टाइम ऑफ़ कॉलरा: प्रेम की अनोखी दास्तान
वरिष्ठ लेखिका विजय शर्मा ने मार्केज़ के महान उपन्यास ‘लव इन द टाइम ऑफ़ कॉलरा’ पर यह लेख लिखा है। इस लेख में उपन्यास और उस पर बनी फ़िल्म दोनों के बारे में लिखते हुए उन्होंने यह दिखाया है कि क्यों प्रेम का ज़िक्र मार्केज़ के इस उपन्यास की चर्चा …
Read More »पीढ़ियों से लोकमन के लिए सावन यूं ही मनभावन नहीं रहा है सावन
प्रसिद्ध लोक गायिका चंदन तिवारी केवल गायिका ही नहीं हैं बल्कि गीत संगीत की लोक परम्परा की गहरी जानकार भी हैं, विचार के स्तर पर मज़बूती से अपनी बातों को रखती हैं। कल से सावन शुरू हो रहा है, सावन में गाए जाने वाले गीतों की परम्परा को लेकर उनका …
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