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लेख

मैत्रयी जी बड़ी लेखिका हैं, उनको सावधानी से लिखना चाहिए था

मैत्रेयी पुष्पा की किताब ‘वह सफ़र था कि मुकाम था’ पर चल रहे विवाद पर जेएनयू में कोरियन विभाग में शोधा छात्रा रोहिणी कुमारी की टिप्पणी- ============ हिंदी जगत को ठीक से नहीं जानती हूँ लेकिन रूचि होने की वजह से पढ़ने की प्रक्रिया अनवरत चल रही है, जब भी …

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धर्म विरुद्ध आचरण पर किताब बांटने की सजा

चंडीगढ़ में एक खबर की तरफ ध्यान गया. खबर मोगा जिले के बहोना गाँव की थी. वहां के सरपंच को सिख संगत की तरफ से तनखैया यानी धर्म विरुद्ध आचरण का दोषी ठहराया गया. कारण था कि उसने अपनी दाढ़ी डी सी के ऑफिस में जाकर कटवा ली थी. क्योंकि …

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गाँधी जी ने जातिवाद का अंत करने के लिए कुछ भी नहीं किया?

गाँधी जी को चतुरत बनिया कहे जाने के बाद से बहस चल पड़ी है. अनुवादक-लेखक मनोहर नोतानी ने अपनी इस टिप्पणी ने एक सवाल तो अच्छा उठाया है कि गांधी जी जाति व्यवस्था की चूलें नहीं हिला पाए- मॉडरेटर =============================================== गांधी बनिये तो थे ही – आधिकारिक रूप से वे …

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भारतीय उप-महाद्वीप की भाषाओं की चैपियंस ट्रॉफी

चैम्पियंस ट्रॉफी जो भी जीते इतना तय है कि अंग्रेजियत हारेगी. इंग्लैण्ड तो पाकिस्तान से पहले ही हार चुकी है. यह पहली बार है जब आईसीसी के किसी टूर्नामेंट में तीन ऐसे देश सेमी फाइनल में पहुंचे हैं जिनका डीएनए एक रहा है. जिसे मजाक में वीरेंदर सहवाग ने दादा, …

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शिक्षारूपी शकुंतला अभी अधूरी पड़ी हुई है

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी बहुत अच्छे वक्ता थे. उनके एक भाषण का अंश किसी ने भेजा है. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर ========================================================= आपका ध्यान कालिदास के शकुंतला नाटक की ओर ले जाना चाहता हूँ। दुष्यंत अच्छा प्रेमी था यह तो आप जानते ही हैं, गलती हो गई थी, उससे अंगूठी …

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मैन इन गॉड्स ऑन लैंड: ‘द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स’ में पुरुष के तीन चेहरे

    इन दिनों अरुंधति रॉय अपने नए उपन्यास की वजह से चर्चा में हैं. विजय शर्मा जी ने उनके पहले उपन्यास ‘ गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स’ के पुरुष पात्रों की पड़ताल की है.   अरुंधति राय का उपन्यास ‘द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स’ उपन्यास जेंडर के विषय में है – …

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पुल के नीचे भारत और पुल के ऊपर इंडिया – किसान आंदोलन

किसान आन्दोलन के बहाने नागेश्वर पांचाल का यह आत्मपरक लेख. ================================= मैं एक किसान पुत्र था, लेकिन अब मैं एक किसान पुत्र नही हूँ । कुछ सालो पहले आर्थिक तंगी की वजह से पिताजी ने ज़मीन की बिक्री कर दी थी । वो खेत, इमली की शाखाओं पर झूलना, आमो …

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विवाह का बदलता स्वरूप : साहित्य समाज और कानून

विवाह संस्था को लेकर विभिन्न लोगों का विभिन्न मत हो सकता है, होना भी चाहिए। समकालीन विवाह के बदलते स्वरूप पर माधव राठौड़ का लेख – संपादक ========================================================== अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हमेशा महिलाओं के इतिहास और वर्तमान  स्थिति पर ही चर्चा  होती है। उनके अधिकारों,मांगों और कानूनों पर ही चर्चा …

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अपने हुसैन पराये हुसैन

एम. एफ. हुसैन पर प्रकाश के रे का लिखा हुआ लेख पुराना है लेकिन हालात आज भी वही हैं. जेरे बहस मुद्दे आज भी वही हैं. हुसैन साहब की पुण्यतिथि पर यह पढने लायक लेख है- मॉडरेटर =================================== ११ मार्च, २०१० को सराय रीडर लिस्ट पर यह पोस्ट भेजा था. …

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जिसने हुनर में कमाल हासिल किया वह सारी दुनिया का चहेता

आज विश्व प्रसिद्ध पेंटर मकबूल फ़िदा हुसैन की पुण्यतिथि है. उनकी विवादास्पद पेंटिंग्स या उनकी माधुरी दीक्षित की प्रति दीवानगी और उनके फ़िल्मकार तक बन जाने की कहानी से तो सब वाकिफ़ हैं पर वे एक अच्छे लेखक भी थे ये उनकी आत्मकथा पढ़कर पता चलता है. आमतौर पर आत्मकथा …

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