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लेख

फ़िल्मों के माध्यम से भीमराव अम्बेडकर

पिछले सालों में जो सबसे उत्साहवर्धक घटना हुई है कि डॉक्टर अम्बेडकर के विचारों का प्रसार कम उम्र के बच्चों में भी होने लगा है। यह लेख बहुत मेहनत और समझ से लिखा है 12 वीं क्लास में पढ़ने वाली बालिका साक्षी भंडारी ने लिखा है। नानकमत्ता पाबलिक स्कूल उत्तराखंड …

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शिक्षा के लिए इंटरनेट जरूरी है

हमारी चिंता यह है कि बच्चों को लोकप्रिय पढ़ाया जाए या गम्भीर लेकिन बच्चों की चिंता के केंद्र में तकनीकी प्रगति है। आज पढ़िए 12 वीं कक्षा की विद्यार्थी बबीता जोशी का लेख- =================== आज के दौर में इंटरनेट हमारी आवश्यकता नहीं ज़रूरत बन गया है। बिना इंटरनेट के आज …

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शहर एक अनुभव का नाम है

  बबीता जोशी नानकमत्ता पब्लिक स्कूल में 11 वीं कक्षा में पढ़ती हैं। कुछ महीने पहले इसने जानकी पुल के लिए एक लेख भेजा। जवाब में मैने लिखा कि इस तरह के लेख लोग गूगल से पढ़ लेते हैं। अभी पढ़ने पर ध्यान दो लिखने पर कम। लेकिन उसने हिम्मत …

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जिनकी पीछे छूटी हुई आवाज़ें भी रहेंगी हमेशा महफूज

पंकज पराशर संगीत पर बहुत अच्छा लिखते हैं। दरभंगा के अमता घराने के ध्रुपद गायक पंडित अभय नारायण मल्लिक को याद करते हुए यह भावभीना लेख पढ़िए- ================================ जिनकी पीछे छूटी हुई आवाज़ें भी रहेंगी हमेशा महफूज (‘अमता’ घराने के चश्मो-चराग़ अभय नारायण मल्लिक!) …और अब पंडित अभय नारायण मल्लिक …

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जी का था ख़याल तो काहे जी लगाया

सुहैब अहमद फ़ारूक़ी पेशे से पुलिस अधिकारी हैं मिज़ाज से शायर। लेकिन आज उनका यह चुटीला लेख पढ़िए- ======================= ‘जी का बुरा हाल है जब से जी लगाया तुझे जी में बसाया तेरे हो लिए जी का था ख़याल तो काहे जी लगाया मुझे जी में बसाया ए जी बोलिये …

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मंडन में उम्र गुजर जाती, खंडन में देर नहीं लगती!

नोएडा में ट्विन टावर को गिराए जाने की घटना टीवी पर पूरे देश ने देखा। हिंदी के सबसे लोकप्रिय लेखक सुरेंद्र मोहन पाठक ने इस घटना को अपने घर से देखा। वे वहीं पास में रहते हैं। इसी अनुभव को अनेक अन्य अनुभवों के साथ मिलाते हुए उन्होंने बड़ा रोचक …

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भारत का पुरस्कार बनाम इंडिया का पुरस्कार

‘वनमाली कथा’ में हिंदी को मिले बुकर पुरस्कार पर मैंने यह लेख लिखा था। पत्रिका के जुलाई अंक में लेख प्रकाशित हुआ है। आप भी पढ़ सकते हैं- प्रभात रंजन =================== इस साल ‘भारत’ का परिचय एक नए पुरस्कार से हुआ- इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ से। ‘इंडिया’ का बुकर पुरस्कार से …

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बुकर वाली हिंदी और हिंदी किताब की दुकानें

हिंदी पट्टी में हिंदी किताब बेचने वाली दुकानों का क्या हाल-चाल है इसका एक अच्छा जायज़ा है इस लेख में। लेख लिखा है लखन रघुवंशी ने। लखन रघुवंशी मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर में जनसंचार के प्राध्यापक हैं। आप उनका यह लेख पढ़िए- ================== लगातार दो वर्षों तक इंटरनेट पर ढूंढने और …

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घूमते आईने का हिंदी पर ठहराव

सत्यानन्द निरुपम का यह लेख इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ की घोषणा के बाद लिखा गया था। पहले अंग्रेज़ी में आउटलुक में प्रकाशित हुआ। बाद में ‘आलोचना’ में। लेकिन आपके लिए ऑनलाइन जानकी पुल लेकर आ रहा है। अनुवाद को लेकर, हिंदी के बनते वैश्विक परिदृश्य पर सम्यक् सोच के साथ लिखा …

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बीसवीं सदी का नौवाँ दशक, एल्बम गीत और मासूम प्रेम!

सुनीता मंजू सीवान के एक कालेज में पढ़ाती हैं। उनका यह लेख पढ़िए जो 80-90 के दशक के म्यूज़िक एल्बम्स के ऊपर हैं। दिलचस्प लेख है- =========================== अगर आपका जन्म 1980 से 1990 के दौरान हुआ है तो यह लेख आपके लिए ही है। नब्बे के दशक के प्रारंभ होते …

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