Home / लेख (page 9)

लेख

पहले लेखक अमर होने को लिखते थे, अब लेखक शेयर होने को लिखते हैं!

लेखन में उभरते नए सौन्दर्यशास्त्र पर पर यह छोटा सा लेख युवा कवि-लेखक अविनाश ने लिखा है। नए लेखन को लेकर, उसकी पसंद-नापसंद को लेकर उन्होंने कई नए बिंदु इस लेख में उठाए हैं- ================ किसी भी दौर का लेखन अपने शिल्प में, अपने समसामयिक परिवेश के अंतर्द्वंदों को समेटे …

Read More »

मीना कुमारी:बॉलीवुड की सिंड्रेला

  पेशे से पुलिस अधिकारी सुहैब अहमद फ़ारूक़ी उम्दा शायर हैं और निराला गद्य लिखते हैं। आज अभिनेत्री मीना कुमारी की पुण्यतिथि पर उनका लिखा पढ़िए- ========== जाने वालों से राबिता रखना दोस्तो  रस्मे फ़ातिहा  रखना निदा फ़ाज़ली…   एक शायर होने के नाते मेरी अदबी ज़िम्मेदारी है कि मैं …

Read More »

होरी खेलूंगी कहकर बिस्मिल्लाह

होली पर यह विशेष लेख जनाब सुहैब अहमद फ़ारूक़ी ने लिखा है। होली कल बीत ज़रूर गई लेकिन इस लेख को पढ़ने का आनंद हमेशा रहेगा- =================================================== होरी खेलूंगी कहकर बिस्मिल्लाह, नाम नबी की रतन चढ़ी,  बूंद पड़ी इल्लल्लाह, रंग-रंगीली उही खिलावे, जो सखी होवे फ़ना फ़ी अल्लाह, होरी खेलूंगी …

Read More »

सतीनाथ भादुड़ी बनाम रेणु

सुलोचना वर्मा कविताएँ लिखती हैं, बांग्ला से हिंदी अनुवाद करती हैं और दोनों भाषाओं पर उनक समान अधिकार है। उनका यह लेख सतीनाथ भादुड़ी बनाम रेणु विवाद पर है। यह सुचिंतित लेख ‘माटी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। साभार प्रस्तुत है- ================= हम किसी किताब का पढने के लिए …

Read More »

नो टू फ्री का आंदोलन अर्थात अनमोल बनाम बेमोल

नो टू फ़्री अभियान को लेकर कुछ बातें युवा लेखक रवींद्र आरोही ने की है। हिंदी समाज को लेकर कुछ विचारणीय बातें हैं। आप भी पढ़िए- ============================ यह बात गलत नहीं है और यह नया भी नहीं कि हिंदी का लेखक सिर्फ लिखकर अपनी आजीविका क्यों नहीं चला सकता। समय-समय …

Read More »

वर्तनी: कितनी लचीली, कितनी तनी 

हिंदी वर्तनी पर यह एक ज़रूरी और बार बार पढ़ा जाने वाला लेख है जिसे कवि-पत्रकार अनुराग अन्वेषी ने लिखा है। यह लेख पहले इंद्रप्रस्थ भारती नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। साभार आप लोगों के लिए- ============================ अमेरिकन इंग्लिश में कलर की स्पेलिंग (वर्तनी/हिज्जा) color है जबकि ब्रिटिश इंग्लिश …

Read More »

दलित लेखकों  के मारक  सवाल: सुरेश कुमार

युवा आलोचक सुरेश कुमार के लेख हम सब पढ़ते रहे हैं और उनकी दृष्टि के क़ायल भी रहे हैं। उनका यह लेख पाखी पत्रिका के जनवरी-फ़रवरी 2021 के अंक में प्रकाशित हुआ था। इस लेख को पत्रिका की तरफ़ से देश विशेषांक प्रतियोगिता में पुरस्कृत भी किया गया है। जिन …

Read More »

लोकगीतों का देहनोचवा दौर और लोकसंगीत की महिलाएं

आज महिला दिवस है। इस अवसर पर पढ़िए प्रसिद्ध लोक गायिका चंदन तिवारी का लिखा यह लेख- ============== लोक. यह शब्द सामने आते ही जीवन का एक विराट पहलू सामने होता है. सृष्टि,प्रकृति सब समाहित हो जाता है इस एक शब्द में. सृष्टि और प्रकृति के बाद लोक के तत्वों …

Read More »

भाषा, मातृभाषा और मातृभाषा आंदोलन

विश्व मातृभाषा दिवस को लेकर वेद प्रताप वैदिक जी का यह लेख नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हुआ था। देर से पढ़ पाया। पढ़ा तो लगा कि साझा किया जाना चाहिए। बहुत अच्छी जानकारी है- ================= आम तौर पर लोगों को पता नहीं होता कि संयुक्त राष्ट्र 21 फरवरी को विश्व-मातृभाषा …

Read More »

वसुधैव कुटुंबकम का नारा लगाना आसान है पालन करना मुश्किल!

प्रज्ञा मिश्रा ब्रिटेन में रहती हैं और समसामयिक मुद्दों पर जानकी पुल पर नियमित रूप से लिखती रहती हैं। इस बार उन्होंने अमेरिका की कैपिटल हिल की घटना से लेकर भारत के किसान आंदोलन तक को लेकर एक विचारपूर्ण लेख लिखा है- =========================== एक बात पहले ही साफ़ करना जरूरी …

Read More »