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लुगदी के जासूस और लुगदी के लेखक

कल रायपुर से प्रकाशित होने वाले अखबार ‘नवभारत’ में हिंदी जासूसी उपन्यास के इतिहास और परंपरा को लेकर मेरा यह लेख प्रकाशित हुआ था. आप पढना चाहते हैं तो यहाँ पढ़ सकते हैं- प्रभात रंजन ========================================== फ़रवरी के महीने में वेद प्रकाश शर्मा का देहांत हुआ तो जैसे हिंदी जासूसी …

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युवा शायर #10 प्रखर मालवीय ‘कान्हा’ की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है प्रखर मालवीय ‘कान्हा’ की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ==================================================== ग़ज़ल-1 आग है ख़ूब थोड़ा पानी है ये यहाँ रोज़ की कहानी है ख़ुद से करना है क़त्ल ख़ुद को ही और ख़ुद लाश भी उठानी है पी गए रेत तिश्नगी में लोग शोर उट्ठा …

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अनुशक्ति सिंह की (अ)कविताएँ

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम हज़ारों तरह की परिस्थितियों से गुज़रते हैं। लेकिन एक वक़्त आता है, जब यह ‘गुज़रना’ हमारा अनुभव बन जाता है। उन अनुभवों को लिखना उतना ही मुश्किल है, जितना एक रूह को पैकर देना। अनुशक्ति की कविताएँ ज़िंदगी के नए ‘डायमेंशन’ की तरफ़ इशारा करती …

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युवा शायर #9 विकास शर्मा ‘राज़’ की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है विकास शर्मा ‘राज़’ की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ==================================================== ग़ज़ल-1 चल रहे थे नज़र जमाये हम मुड़ के देखा तो लड़खड़ाये हम खोलता ही नहीं कोई हमको रह न जाएँ बँधे-बँधाये हम प्यास की दौड़ में रहे अव्वल छू के दरिया को लौट आये …

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ये कैसा मुल्क है लोगों जहाँ पर जान सस्ती है

दिल्ली में किसान नंगे हो रहे हैं. यह अवाक कर देने वाली स्थिति है. किसान बचेंगे या नहीं, किसानी बचेगी या नहीं यह बड़ा सवाल है. ऐसा लग रहा है कि सरकारों को उनकी रत्ती भर परवाह नहीं है. आज बस त्रिपुरारि की यह नज़्म- मॉडरेटर ======================================================== किसान  ये ज़ाहिर …

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युवा शायर #8 मुदिता रस्तोगी की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है मुदिता रस्तोगी की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ग़ज़ल-1 सुनो एक बात थी जो तुमसे कहनी थी…चलो छोड़ो है छोटी उम्र और है दास्ताँ लम्बी, चलो छोड़ो उठा कर, खेल कर, दिल तोड़ कर देखे कई उसने पता की क़ीमतें सबकी के फिर बोली, चलो …

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युवा शायर #7 अज़ीज़ नबील की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है अज़ीज़ नबील की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ग़ज़ल-1 ख़ामुशी टूटेगी, आवाज़ का पत्थर भी तो हो जिस क़दर शोर है अन्दर, कभी बाहर भी तो हो मुस्कुराना किसे अच्छा नहीं लगता या-रब मुस्कुराने का कोई लम्हा मयस्सर भी तो हो बुझ चुके रास्ते, सन्नाटा …

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युवा शायर #6 विपुल कुमार की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है विपुल कुमार की ग़ज़लें – त्रिपुरारि  ================================================== ग़ज़ल–1 जल्द आएँ जिन्हें सीने से लगाना है मुझे फिर बदन और कहीं काम में लाना है मुझे इश्क़ पाँव से लिपटता है तो रुक जाता हूँ वर्ना तुम हो तो तुम्हें छोड़ के जाना है …

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माइक इवरेट्ट की कविताएँ

माइक इवरेट्ट अमेरिकी आंचलिक उपन्यासकार हैं। लेख, कविता और कहानी भी लिखती हैं। माइक का एक परिचय यह भी है कि इनके लिखे एक कथन (जो कि एक लेख का हिस्सा है) को इंटरनेट पर दस लाख से ज़्यादा दफ़े कोट किया जा चुका है। वो कथन है, “When a writer falls …

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