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शायरी

युवा शायर #7 अज़ीज़ नबील की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है अज़ीज़ नबील की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ग़ज़ल-1 ख़ामुशी टूटेगी, आवाज़ का पत्थर भी तो हो जिस क़दर शोर है अन्दर, कभी बाहर भी तो हो मुस्कुराना किसे अच्छा नहीं लगता या-रब मुस्कुराने का कोई लम्हा मयस्सर भी तो हो बुझ चुके रास्ते, सन्नाटा …

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युवा शायर #6 विपुल कुमार की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है विपुल कुमार की ग़ज़लें – त्रिपुरारि  ================================================== ग़ज़ल–1 जल्द आएँ जिन्हें सीने से लगाना है मुझे फिर बदन और कहीं काम में लाना है मुझे इश्क़ पाँव से लिपटता है तो रुक जाता हूँ वर्ना तुम हो तो तुम्हें छोड़ के जाना है …

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युवा शायर #5 अज़हर इक़बाल की ग़ज़लें

अच्छी शायरी करना एक बात है और अच्छा इंसान होना दूसरी बात। अज़हर इक़बाल, जितनी अच्छी शायरी करते हैं उतने ही बेहतर इंसान भी हैं। उनसे मिलते हुए यूँ महसूस होता है, जैसे कभी बिछड़े ही न थे। बात करते हुए लगता है कि गुफ़्तगू कभी ख़त्म न हो। ऐसा …

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युवा शायर #4 नकुल गौतम की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है नकुल गौतम की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ग़ज़ल-1 अब मेरे दिल में नहीं है घर तेरा ज़िक्र होता है मगर अक्सर तेरा हाँ! ये माना है मुनासिब डर तेरा आदतन नाम आ गया लब पर तेरा भूल तो जाऊँ तुझे पर क्या करूँ उँगलियों …

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युवा शायर #3 आलोक मिश्रा की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है आलोक मिश्रा की ग़ज़लें – त्रिपुरारि 1- लबालब दुःख से था क़िस्सा हमारा मगर छलका नहीं दरिया हमारा असर उस पर तो कब होना था लेकिन तमाशा बन गया रोना हमारा मगर आने से पहले सोच लो तुम बहुत वीरान है रस्ता हमारा …

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युवा शायर #2 पूजा भाटिया की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में, आज पेश है पूजा भाटिया की ग़ज़लें – त्रिपुरारि 1. यूँ ही चलते रहने से भी क्या होगा अपना कहने को बस इक रस्ता होगा सहरा, जंगल, दश्त न वीराना कोई दीवाने का घर जाने कैसा होगा तुम भी दरिया को दरिया बन कर देखो तुम …

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युवा शायर #1 सालिम सलीम की ग़ज़लें

जानकीपुल की नई पेशकश-युवा शायर। इस सीरीज के तहत उर्दू में लिखने वाले युवा शायर/शायरा की रचनाएँ प्रकाशित की जाएँगी। आप लुत्फ़ अंदोज़ हों। हौसला अफ़ज़ाई करें। आज पढ़ें पहला पोस्ट, सालिम सलीम की ग़ज़लें – त्रिपुरारि 1. कनार-ए-आब तिरे पैरहन बदलने का मिरी निगाह में मंज़र है शाम ढलने …

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हम से नज़र मिलाइए होली का रोज़ है / तीर-ए-नज़र चलाइए होली का रोज़ है

जो लोग उर्दू-हिंदी लिटरेचर से तआल्लुक़ रखते हैं, उनके ज़ेहन में होली के ख़याल के साथ नज़ीर अकबराबादी की नज़्म ‘होली की बहारें’ ज़रूर आती होगी। मन गुनगुनाने लगता होगा, ‘जब फागुन रंग झमकते हों, तब देख बहारें होली की’। ये बहुत मशहूर नज़्म है। लेकिन इसके अलावे भी उर्दू …

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जौन एलिया की शायरी और म्यूजिक वीडियो

कहते हैं कि मजाज़ के बाद अगर किसी शायर की कल्ट फोलोविंग हुई तो वह जौन एलिया थे. जौन के मरने के बाद उनकी बढती लोकप्रियता का कारण समझना आसान नहीं है. जबकि आश्चर्यजनक बात यह है कि जौन की शायरी को किसी बड़े ग़ज़ल गायक ने नहीं गाया, न …

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कर्नल शायर गौतम राजऋषि की चुनिन्दा ग़ज़लें

पता नहीं सहरसा की मिटटी में क्या है. पिछले कुछ समय से सहरसा के एक से एक लेखक सामने आए हैं. लेकिन गौतम राजऋषि जैसे विरुद्धों का सामंजस्य हैं. पेशे से कर्नल और दिल से शायर. हाल में ही हिन्द युग्म प्रकाशन से उनके गजलों का दीवान साया हुआ है …

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