राजकमल से प्रकाशित अरूण देव के कविता संग्रह ‘उत्तर पैग़म्बर’ पर यह टिप्पणी राजीव कुमार की है। राजीव जी इतिहास, साहित्य, सिनेमा के गहरे अध्येता हैं। लिखते काम हैं लेकिन ठोस लिखते हैं- मॉडरेटर ============== अरुण देव के “उत्तर पैगम्बर” की खुली उद्घोषणा है, “वह कोई कातिब नहीं कि आखिरत …
Read More »‘पीली छतरी वाली लड़की’ की काव्य समीक्षा
यतीश कुमार की काव्यात्मक समीक्षा इस बार उदय प्रकाश के उपन्यास ‘पीली छतरी वाली लड़की’ की है। पढ़कर बताइए कैसा लगा- =================== (‘पीली छतरी वाली लड़की’ ) ——————————————- वह रोज आईने में पहले अपनी शक्ल देखता फिर समाज को अपनी शक्ल में खोजता समाज के आईने से प्रतिबिम्ब …
Read More »मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास ‘कौन हूँ मैं’ पर एक टिप्पणी
आज हिंदी के हरफ़नमौला लेखक मनोहर श्याम जोशी की पुण्यतिथि है। 2006 में आज के दिन उनका निधन हो गया था। आज प्रस्तुत है उनके मरणोपरांत प्रकाशित उनके उपन्यास ‘कौन हूँ मैं‘ पर राहुल सिंह की टिप्पणी- ====================== मनोहर श्याम जोशी का उपन्यास ‘कौन हूँ मैं‘, सन 2006 में उनके …
Read More »प्यार वह फल है जिस पर मासूमियत का छिलका होता है
समकालीन कवियों में सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले कवियों में गीत चतुर्वेदी का नाम निर्विवाद रूप से आता है। रुख़ प्रकाशन से प्रकाशित उनके कविता संग्रह ‘ख़ुशियों के गुप्तचर’ को ख़ूब पसंद किया जा रहा है। कवि यतीश कुमार ने इस संग्रह की कविताओं की काव्यात्मक समीक्षा अपनी ख़ास …
Read More »किन्नर धर्मलोक: एक अंतर्यात्रा कृष्णनाथ के साथ
कवि यतीश कुमार ने पुस्तक समीक्षा की अपनी शैली विकसित की है- काव्यात्मक समीक्षा की। इस बार उन्होंने कृष्णनाथ जी की यात्रा पुस्तक ‘किन्नर धर्मलोक’ पढ़कर उसके ऊपर डूबकर लिखा है- मॉडरेटर =============== किन्नर धर्मलोक किन्नर धर्मलोक एक अंतर्यात्रा : कृष्णनाथ के साथ 1) अलंघ्य रास्ते तक जाना है रास्ता …
Read More »सफ़र के साथ सफ़र की कहानियाँ होंगी/ हर एक मोड़ पे जादू-बयानियाँ होंगी
हाल में ही जानी मानी लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ की यात्रा पुस्तक आई है ‘होना अतिथि कैलाश का’। राजपाल एंड संज से प्रकाशित इस किताब पर यह टिप्पणी लिखी है लेखिका-अनुवादिका रचना भोला यामिनी ने- मॉडरेटर =========================== होना अतिथि कैलाश का— क्या कैलाश का अतिथि होना इतना सहज धरा है\ औघड़ …
Read More »‘अग्निलीक’ में कहानी है, नाटक है, गीत से दृश्य हैं ,प्रेम है और प्रखर जनचेतना है!
वरिष्ठ लेखक हृषीकेश सुलभ का उपन्यास आया है ‘अग्निलीक’। भोजपुरी समाज के सामाजिक, राजनीतिक बदलावों को लेकर लिखा गया यह एक ऐसा उपन्यास है जिसे मेले-ठेले की भीड़ में नहीं अकेले में पढ़ा जाना चाहिए। उपन्यास पर एक टिप्पणी पढ़िए, लिखी है अनामिका अनु ने- मॉडरेटर ================================ “मनरौली की हों …
Read More »‘माउथ ऑर्गन’ अपनी धुन गुनगुना रहा है
सुशोभित के लेखन की अपनी ख़ास शैली है जिसके कारण हज़ारों लोग उनको फ़ेसबुक पर रोज़ पढ़ते हैं। उनकी किताब ‘माउथ ऑर्गन’ का गद्य भी बहुत सम्मोहक है। मन की यात्राओं के इस गद्य पुस्तक की काव्यात्मक समीक्षा अपनी खास शैली में यतीश कुमार ने की है- मॉडरेटर ====================== माउथ …
Read More »‘मैंने मांडू नहीं देखा’ को पढ़ने के बाद
कवि यतीश कुमार ने हाल में काव्यात्मक समीक्षा की शैली विकसित की है। वे कई किताबों की समीक्षा इस शैली में लिख चुके हैं। इस बार उन्होंने स्वदेश दीपक की किताब ‘मैंने मांडू नहीं देखा’ पर लिखी है। यह किताब हिंदी में अपने ढंग की अकेली किताब है और इसके …
Read More »ज्ञान और संवेदना के संतुलन का उपन्यास
पंकज सुबीर के उपन्यास ‘जिन्हें जुर्म–ए–इश्क़ पे नाज़ था’ की आजकल बहुत चर्चा है। इसकी समीक्षा पढ़िए। वीरेंद्र जैन ने लिखी है- ============== मुक्तिबोध ने कहा था कि साहित्य संवेदनात्मक ज्ञान है। उन्होंने किसी विधा विशेष के बारे में ऐसा नहीं कहा अपितु साहित्य की सभी विधाओं के बारे में …
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