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ग़ज़ल

अनुकृति उपाध्याय की नौ ग़ज़लें

अनुकृति उपाध्याय को हम हिन्दी-अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं के समर्थ और सशक्त लेखक के तौर पर जानते हैं। आज कल वह एक नई विधा में हाथ आज़मा रही हैं। ग़ज़लें लिख रही हैं। उनकी कुछ ग़ज़लें प्रस्तुत हैं- ================== 1 दर्द है दिल में या ज़माने में धड़कता क्या मेरे फ़साने में एक …

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इरशाद खान सिकंदर की भोजपुरी ग़ज़लें और नज़्म

आज इरशाद ख़ान सिकंदर की कुछ ग़ज़लें और नज़्म भोजपुरी में पढ़िए- ================================   1 हम मान भी लीं लेकिन आसार त कम बाटे जे पीही उहे जीही कुदरत के नियम बाटे   पी जाला अन्हरिया के सूरज भी शराबी ह बा चंदवो शराबी पर उम्मीद से कम बाटे   …

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सुश्री आशकारा ख़ानम ‘कश्फ़’ की ग़ज़लें

प्रख्यात कवयित्री और शिक्षाविद् सुश्री आशकारा ख़ानम ‘कश्फ़’ दिल्ली में रहती हैं। वह उनके पति, श्री सुहैब फारूकी (दिल्ली पुलिस अधिकारी) से बहुत प्रेरित हैं, जो स्वयम हिन्दी, उर्दू के प्रसिद्ध कवि व ब्लॉगर हैं। सुश्री आशकारा ख़ानम ने अपनी काव्य यात्रा ‘कश्फ़’, जिसका अर्थ उद्घटन या प्रकटन है, के क़लमी …

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ईद पर सुहैब अहमद फ़ारूक़ी की ग़ज़लें

आज ईद है। मुझे कल चाँद दिखते ही ईदी मिल गई थी। भाई सुहैब अहमद फ़ारूक़ी ने अपनी ग़ज़लें ईद के तोहफ़े में भेजी। आप लोगों को भी ईद मुबारक के साथ साझा कर रहा हूँ- मॉडरेटर ==============   1   रफ़्ता रफ़्ता ख्वाहिशों को मुख़्तसर करते रहे रफ़्ता रफ़्ता …

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युवा शायर #27 महेंद्र कुमार ‘सानी’ की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है महेंद्र कुमार ‘सानी’ की ग़ज़लें। पढ़िए और लुत्फ़-अंदोज़ होइए – त्रिपुरारि =============================================================== ग़ज़ल-1  काम कुछ भी नहीं था करने को हम को भेजा गया है मरने को.. तुम जो सिमटे हुए से रहते हो यानी बेताब हो बिखरने को.. आइना देखते नहीं अपना और …

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युवा शायर #26 मुस्तहसन जामी की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है मोहम्मद मुस्तहसन जामी की ग़ज़लें। जामी, पाकिस्तानी शायरी में एक उभरती हुई आवाज़ हैं। वो आवाज़, जो अपने आप में धूप की नर्मी और बर्फ़ की गर्मी एक साथ समेटे हुए है। वो आवाज़, जो ख़्वाब देखना तो चाहती है मगर जिसे ताबीर की …

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युवा शायर #25 इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’ की ग़ज़लें

युवा शायर सीरीज में आज पेश है इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’ की ग़ज़लें। इरशाद की शायरी में रोज़मर्रा की ज़िंदगी के हालात और हर हाल में जीने का हौसला कुछ इस तरह मुँह जोड़ के चलते हैं, जैसे अंधेरे की बाँहों में रोशनी ने अपनी बाँहें डाल दी हों। एकदम अपनी ही …

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ये रौशनी में कोई और रौशनी कैसी

‘मौजूद की निस्बत से’ महेंद्र कुमार सानी का पहला शे’री मज्मूआ है जो रेख़्ता से प्रकाशित हुआ है । इसकी भूमिका प्रसिद्ध शा’इर और सम्पादक आदिल रज़ा मंसूरी ने लिखी है। उन्होंने सानी के मुख़्तलिफ़ तख़्लीक़ी पहलुओं पर इस तरह रौशनी डाली है कि क़ारी की अपेक्षाएँ बढ़ जाती हैं …

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आलोक मिश्रा की ग़ज़लें

आज पढ़िए युवा शायर आलोक मिश्रा की कुछ ग़ज़लें- त्रिपुरारी =============================== 1 तुम्हारे साये से उकता गया हूँ मैं अपनी धूप वापस चाहता हूँ कहो कुछ तो ज़ुबाँ से बात क्या है मैं क्या फिर सेे अकेला हो गया हूँ मगर ये सब मुझे कहना नहीं था न जाने क्यों …

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त्रिपुरारि की कुछ नई ग़ज़लें

आज युवा शायर त्रिपुरारि की कुछ नई ग़ज़लें पढ़िए- मॉडरेटर ==================================   ग़ज़ल-1 तिरा ख़याल है या गुनगुना सा पानी है मिरी निगाह में जो अनकहा सा पानी है हमारी सम्त नज़र जब पड़ी तो उसने कहा उदासियों में घिरा ख़ुशनुमा सा पानी है मैं ख़ल्वतों में जिसे हम-सुख़न समझता …

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