Home / ब्लॉग (page 10)

ब्लॉग

कोई हिप्पी, कोई साधु। कोई नेता, कोई अभिनेता। अजीब मिक्स है!

पेशे से डॉक्टर प्रवीण कुमार झा मूलतः व्यंग्यकार हैं. आज उनका यह व्यंग्य लेख यमलोक में ‘बलात्कारी विभाग’ को खुलने को लेकर है. एक चुभता हुआ व्यंग्य- मॉडरेटर  ================================================== यमलोक में आज रौनक है। ब्रह्मा जी अभी-अभी ‘बलात्कारी-विभाग‘ का रिबन काट कर गए हैं। यमदूत छक कर छोले-भटूरे खा रहे …

Read More »

शुभम श्री की भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार प्राप्त कविता “पोएट्री मैनेजमेंट”

शुभम श्री की कविता पर पहली बार बहस नहीं हो रही है. उसकी कविता ‘बुखार, ब्रेक अप आई लव यू’ को लेकर भी लम्बी बहस चली थी. जो कवि कविता के प्रचलित शिल्प में तोड़फोड़ करता है उसकी कविताओं को लेकर बहस होती ही है. हिंदी में तो निराला की …

Read More »

प्रेमचन्द के नाम शहरी बाबू की पाती

धर्मग्रंथों के बाद हिंदी में सबसे अधिक उनकी रचनाएँ पढ़ी गईं और धार्मिक कथा-लेखकों-कवियों के बाद वे हिंदी समाज के सबसे अधिक समादृत लेखक हैं. मुझे उनके लेखन से अधिक उनका लेखकीय व्यक्तित्व प्रभावित करता है, प्रेरित करता है. वे कुछ और नहीं थे लेखक थे, प्रेमचंद लेखन  के माध्यम …

Read More »

नामवर सिंह का सम्मान हिंदी का सम्मान है!

मुझे याद आ रहा है कि एक बार ‘कथादेश’ पत्रिका के एक कार्यक्रम में उत्तर-आधुनिक विद्वान सुधीश पचौरी ने नामवर सिंह को हिंदी का अमिताभ बच्चन कहा था. आज नामवर सिंह के 90वें जन्मदिन के दिन यह कथन याद आ रहा है तो यह भी याद आ गया कि चाहे …

Read More »

सुरेन्द्र मोहन पाठक क्यों हिंदी लोकप्रिय लेखन के शिखर हैं?

जब मैं यह कहता हूँ कि सुरेन्द्र मोहन पाठक हिंदी के सबसे लोकप्रिय लेखक हैं तो उसका मतलब यह लिखना नहीं होता है कि वे हिंदी के सबसे अच्छे लेखक हैं, सबसे बड़े लेखक हैं? लेकिन यह जरूर होता है कि हिंदी में जो लोकप्रिय लेखन की धारा है वे …

Read More »

सुरेन्द्र मोहन पाठक की ‘कलम-मसि’ यात्रा और लोकप्रिय बनाम गंभीर की बहस

23 जुलाई को पटना में हिंदी की दुनिया में बदलाव के एक नए दौर की शुरुआत का दिन था. निर्विदाद रूप से हिंदी के सबसे लोकप्रिय अपराध-कथा लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक पटना आये, यहाँ के पाठकों से संवाद किया. लेखक कम आये लेकिन पाठक जी जैसे लेखक लगभग साठ साल …

Read More »

मनीषा कुलश्रेष्ठ के उपन्यास ‘स्वप्नपाश’ का एक अंश

स्वप्नपाश का एक अंश हाल में ही मनीषा कुलश्रेष्ठ का उपन्यास आया है ‘स्वप्नपाश’. मनीषा हर बार एक नया विषय उठाती हैं, नए अंदाज़ में लिखती हैं. ये उपन्यास भी उसका उदाहरण है. बहरहाल, उपन्यास मैंने अभी तक पढ़ा नहीं है. पढने के बाद लिखूंगा उसके ऊपर. फिलहाल इस अंश …

Read More »

शशि कपूर की ‘असीम’ जीवनी

 इससे पहले राजेश खन्ना की जीवनी पढ़ी थी. यासिर उस्मान की लिखी हुई. आजकल फ़िल्मी कलाकारों की जीवनियों का ऐसा दौर चला हुआ है कि पढ़ते हुए डर लगता है- पता नहीं किताब कैसी निकले? लेकिन शशि कपूर की जीवनी ‘द हाउसहोल्डर, द स्टार’ पढ़कर सुकून मिला. ऐसा नहीं है …

Read More »

रजनी मोरवाल की कहानी ‘खूबसूरत फूल के लिए’

रजनी मोरवाल के कहानी संग्रह ‘कुछ तो बाकी है’ के प्रकाशन के बाद से उनकी कहानियों की खूब चर्चा हो रही है. उनकी कहानियां चर्चा के लायक हैं या नहीं आप खुद पढ़कर बताइए- मॉडरेटर ================================================== मुंबई के मौसम का कुछ पता नहीं चलता, बहुत बंकस करता है सब तरफ चिप-चिप, जररा …

Read More »

सौम्या बैजल की कहानी ‘कॉपी’

यह कहानियों का लप्रेक काल है. जीवन में-कहानियों में छोटी-छोटी बातों को महत्व देने का दौर.  युवा लेखिका सौम्या बैजल की इस छोटी कहानी को ही देखिये- मॉडरेटर  ===================================== ‘बेवकूफों जैसी बातें मत करो. तुम जानते हो की मैँ उसे भूल चुकी हूँ‘ , मानसी ने झुंझला कर वरुण से …

Read More »