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आरसी प्रसाद सिंह की कहानी ‘भाग्यचक्र’

यह साल कवि-लेखक आरसी प्रसाद सिंह की जन्मशताब्दी का भी साल है. प्रस्तुत है उनकी एक कहानी- त्रिपुरारि कुमार शर्मा. दिन भर कवि शहर की तमाम गलियों में इधर से उधर चक्कर लगाता रहा; किंतु किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। उसने कभी किसी की खुशामद नहीं की थी …

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आत्मा के संलाप के लिये तुम हो

हाल में ही वाणी प्रकाशन से एक पुस्तक आई है ‘भैरवी: अक्क महादेवी की कविताएँ’. वीरशैव संप्रदाय की अक्क महादेवी की कुछ कविताओं का बहुत सुन्दर अनुवाद युवा कवि-संगीतविद यतीन्द्र मिश्र ने किया है. मैंने पढ़ा तो सोचा कि आपसे साझा किया जाए- जानकी पुल. वीरशैव सम्प्रदाय, जिसे प्रचलित अर्थों …

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बात इतनी सपाट हो जाएगी कि कला नहीं रहेगी

आर. चेतनक्रान्ति की कविताएँ किसी आशा, किसी विश्वास की कविताएँ नहीं हैं, न ही स्वीकार की.  वे नकार के कवि हैं, उस नकार के जो आज मध्यवर्ग की संवेदना का हिस्सा है. ‘भयानक खबर’ के इस कवि ने हिंदी कविता को नया स्वर दिया, नए मुहावरे दिए. भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार …

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‘समन्वय: आईएचसी भारतीय भाषा महोत्सव’

यह सहित्योत्सवों का दौर है. ऐसे में दिल्ली में १६-१८ दिसंबर को इण्डिया हैबिटैट सेंटर, दिल्ली प्रेस और प्रतिलिपि बुक्स की ओर से भारतीय भाषा के साहित्य को ‘सेलेब्रेट’ करने के लिए आयोजन हो रहा है. ज़्यादातर साहित्योत्सव ‘सेलिब्रिटी’ को लेखक बनाने के आयोजन होते हैं, यह लेखक  को ‘सेलिब्रिटी’ …

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कोई और न सही, अबूझमाड़ तो साक्षी होगा ही

कथाकार आशुतोष भारद्वाज की नक्सल डायरीविकास और सभ्यता की परिभाषाओं से दूर गाँवो-कस्बों के उन इलाकों के भय-हिंसा से हमें रूबरू कराता है जिसे सरकारी भाषा में नक्सल प्रभावित इलाके कहा जाता है. इस बार अबूझमाड़ – जानकी पुल. पहाड़ और जंगल के बीच अटके किसी कस्बे का बीच सितंबर। — …

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मैं स्वीकार करती हूँ शोक और उत्सव

आज प्रस्तुत हैं लैटिन अमेरिकन देश पेरू की कवयित्री ब्लांका वरेला की कविताएँ. लगभग सुर्रियल सी उसकी कविताओं के अक्तावियो पाज़ बड़े शैदाई थे. बेहद अलग संवेदना और अभिव्यक्ति वाली इस कवयित्री की कविताओं का मूल स्पैनिश से हिंदी अनुवाद किया है मीना ठाकुर ने. मीना ने पहले भी स्पैनिश …

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शैलेंद्र, राज कपूर, मैँ और साहिर

कल प्रसिद्ध फिल्म पत्रिका ‘माधुरी’ पर रविकांत का लेख जानकी पुल पर आया था. उसकी प्रतिक्रिया में उस पत्रिका के यशस्वी संपादक अरविन्द कुमार जी ने एक छोटी- सी टिप्पणी प्रेषित की है. यह टिप्पणी उपलब्ध करवाने के लिए हम लेखक मित्र दयानंद पांडेय के आभारी हैं. प्रस्तुत है वह …

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हिन्दी फ़िल्म अध्ययन: ‘माधुरी’ का राष्ट्रीय राजमार्ग

इतिहासकार रविकांत सीएसडीएस में एसोसिएट फेलो हैं, ‘हिंदी पब्लिक स्फेयर’ का एक जाना-माना नाम जो एक-सी महारत से इतिहास, साहित्य, सिनेमा के विषयों पर लिखते-बोलते रहे हैं. उनका यह लेख प्रसिद्ध फिल्म-पत्रिका ‘माधुरी’ पर पर एकाग्र है, लेकिन उस पत्रिका के बहाने यह लेख सिनेमा के उस दौर को जिंदा …

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तो क्या पहले की तरह मिलोगे

इस बार ३ दिसंबर को ‘कवि के साथ’ कार्यक्रम में लीना मल्होत्रा भी अपनी कविताएँ सुनाएंगी. लीना जी की कविताओं में सार्वजनिक के बरक्स मुखर निजता है जो हिंदी कविता की एक अलग ज़मीन लगती है. ३ दिसंबर को तो दिल्लीवाले उनकी कविताओं को सुनेंगे हम यहाँ पढते हैं- जानकी …

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ईसा तुम्हारी संतानें वैसी ही हैं अभी भी

आज तुषार धवल की कविताएँ. तुषार की कविताओं में न विचारधारा का दबाव है, न ही विचार का आतंक. उनमें सहजता का रेटौरिक है. अपने आसपास के जीवन से, स्थितियों से कविता बुनना- वह भी इतनी सूक्ष्मता से, कोई उनसे सीखे. यहाँ उनकी कुछ नई कविताएँ हैं- जानकी पुल. 1. …

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