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यह भरोसा दरअसल वर्जिनिया पर था

जाने-माने ब्लॉगर विनीत कुमार इन दिनों कवियाये हुए हैं, उनके विद्रोही लैपटॉप से इन दिनों कोमल-कोमल कविताएँ प्रकट हो रही हैं. जानकी पुल गर्व के साथ उनकी पहली दो कविताओं को प्रस्तुत कर रहा है, इस उम्मीद के साथ कि आगे भी उनकी काव्यात्मकता बनी रहेगी. गंभीरता के विरुद्ध.. तुम …

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हिंदी-लेखकों को कब मिलेगी मुक्ति उपेक्षित होने के अहसास से

आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री जी के देहांत के बाद बड़े पैमाने पर इस बात को लेकर चर्चा हुई कि करीब ९५ साल की भरपूर जिंदगी जीने वाले इस लेखक की बहुत उपेक्षा हुई. साहित्य अकादेमी में जो शोकसभा हुई उसमें भी यह कहा गया कि साहित्य अकादेमी में उनके ऊपर …

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शहर छूटा, लेकिन वो गलियां नहीं!

वरिष्ठ पत्रकार-लेखिका गीताश्री की नई पुस्तक आई है सामयिक प्रकाशन से ‘औरत की बोली’. पुस्तक हिंदी में विमर्श के कुछ बंद खिड़की-दरवाज़े खोलती है. प्रस्तुत है पुस्तक की भूमिका का एक अंश- जानकी पुल. घर से ज्यादा बाहर शोर था- “चतुर्भूज स्थान की सबसे सुंदर और मंहगी बाई आई है।“ …

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इस घोर कोलाहल के बीच स्वर संगति

आज विपिन चौधरी की कविताएँ, जिनमें करुणा है, जीवन के गहरे अनुभवों से उपजा विराग है और एक एक ऐसी धुन जो बैकग्राउंड म्यूजिक की तरह साथ-साथ चलती रहती है- जानकी पुल. 1. तुम्हारा चेहरा मदर एक अदृश्य आकृति के मस्तक पर अपनी कामनाओं, सपनो और अरमानों का सेहरा बाँधा …

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अब कौन सा मनुष्य जन्म लेगा?

आज उमेश कुमार सिंह चौहान की कविताएँ. उनकी कविताओं का रंग ज़रा अलग है, उनमें प्रकृति की चिंता है, विनाश के कगार पर खड़ी सभ्यता की कराह है. आइये इन कविताओं से रूबरू होते हैं- जानकी पुल. महानाश के कगार पर अभी तो बस तीन ही बसन्त देखे थे मैंने,पृथ्वी …

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अशोक कुमार पांडे की कहानी ‘जंगल’

अशोक कुमार पांडे संवेदनशील कवि ही नहीं हैं एक सजग कथाकार भी हैं. उनकी इस कहानी में हाशिए के लोगों का जीवन है, उसकी तकलीफ है- जानकी पुल  झिर्रियों से आ रही हवा किसी धारदार हथियार की तरह जख़्मी कर रही थी। गोमती ने साड़ी का पल्लू चेहरे पर लपेट …

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एक थे गीतकार योगेश

हिंदी फ़िल्मी गीतों में साहित्यिकता का पुट देने वाले गीतकार योगेश के बारे में लोग कम ही जानते हैं. एक से एक सुमधुर गीत लिखने वाले इस गीतकार के बारे में बता रहे हैं दिलनवाज़– जानकी पुल. हिन्दी फ़िल्मो के सुपरिचित गीतकार योगेश गौड उर्फ़ योगेश का जन्म लखनऊ, उत्तर …

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तू खेलता है नूर से मेरे यक़ीन के

समकालीन हिंदी लेखकों में मनीषा कुलश्रेष्ठ का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. हाल में ही उनका उपन्यास आया है ‘शिगाफ’, जो कश्मीर की पृष्ठभूमि पर है. प्रस्तुत है उसका एक रोचक अंश- जानकी पुल. रोड टू लामांचा ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम ( अमिता)‘ला मांचा‘ सोचते ही पवनचक्कियां दिमाग़ में …

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मंच के हंस : बलबीर सिंह रंग

हिंदी की मंचीय कविता को लोकप्रिय बनाने वाले कवियों में बलवीर सिंह रंग का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. ‘रंग का रंग ज़माने ने बहुत देखा है/ क्या कभी आपने बलवीर से बातें की हैं’ जैसे गीत लिखने वाले इस कवि की यह जन्मशताब्दी का साल है. इस अवसर …

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मुंबई की अँधेरी दुनिया और ‘सेक्रेड गेम्स’

विक्रम चंद्रा भारतीय-अंग्रेजी लेखन के ‘बूम’ के दौर के लेखक हैं. १९९५ में जब उनका उपन्यास ‘रेड अर्थ पोरिंग रेन’ प्रकाशित हुआ था तो उसने उनको अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलवाई. अरुंधति रे से पहले के दौर के भारतीय अंग्रेजी लेखकों में उनको सबसे संभावनाशील लेखकों में माना जाता था. बाद में …

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