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क्रूरता क्या बीमारी है?

आज जाने माने लेखक, पत्रकार, कार्टूनिस्ट राजेंद्र धोड़पकर का लेख आया है ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में .क्रूरता के मनोविज्ञान को लेकर. बहुत बढ़िया है- मॉडरेटर  ====================================== जब भी कोई आतंकवादी वारदात होती है और बड़े पैमाने पर बेकसूर लोग मारे जाते हैं, तो एक सवाल सबके दिमाग में आता है कि …

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बुजुर्गों की अहमियत का संदेश फिल्म ‘रूई का बोझ’

चंद्रकिशोर जायसवाल के उपन्यास ‘गवाह गैरहाजिर’ पर सुभाष अग्रवाल ने एक फिल्म बनाई थी रुई का बोझ’. उसी फिल्म पर सैयद एस. तौहीद का लेख- मॉडरेटर================================= आज संयुक्त परिवार एवं उससे जुड़ी मान्यताओ में तेजी से विघटन हो रहा है. जीवनकाल का चार अवस्थाओं में बंटवारा बेमानी सा होता जा रहा है. …

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स्वप्निल तिवारी की ग़ज़लें

कुछ लोग बंधे बंधाये मीटर में ग़ज़लें लिखते हैं, कुछ उस मीटर में भाषा को बदल कर उसे ताज़ा बना देते हैं. स्वप्निल तिवारी की ग़ज़लें ऐसी ही हैं. उनका एक ग़ज़ल संग्रह है ‘चाँद डिनर पर बैठा है‘. कुछ ग़ज़लें उसी संग्रह से से. उम्मीद करता हूँ कि आपको …

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सत्यानंद निरुपम से बातचीत

सत्यानंद निरुपम से आप असहमत हो सकते हैं, उससे लड़ सकते हैं लेकिन आप उसको खारिज नहीं कर सकते. वह हिंदी संपादन में न्यू एज का प्रतिनिधि है, कुछ लोग नायक भी कहते हैं. लेकिन हिंदी पुस्तकों की दुनिया की बंद गली के आखिरी मकान का दरवाजा खोलने और ताजा …

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अब्बास से जुडी उनके नवासे मंसूर रिजवी की यादें

कल ख्वाजा अहमद अब्बास का जन्मदिन था. आज उनसे जुड़ा एक रोचक संस्मरण. प्रस्तुति सैयद एस. तौहीद की है- मॉडरेटर  ============ मेरी परवरिश बंबई के उसी घर में में हुई,जहां बाबा रहा करते थे। अब्बास साहब को हम मुहब्बत से ‘बाबा’ ही पुकारा करते थे। जुहु के उनके मकान में …

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इतिहास के अध्याय में छिपी प्रेम कहानी की कहानी

त्रिलोकीनाथ पाण्डेय गृह मंत्रालय में उच्च अधिकारी हैं और अंग्रेजी में लिखते रहे हैं. पहली बार उन्होंने एक उपन्यास हिंदी में लिखा है जिसकी पृष्ठभूमि ऐतिहासिक है. रीतिकाल के आचार्य कवि पंडितराज जगन्नाथ और शाहजहाँ की छोटी बेटी लौंगी की प्रेम-कहानी. उपन्यास शीघ्र हिंदी के किसी बड़े प्रकाशन से छपने …

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मनोज कुमार पांडेय की कहानी ‘घंटा’

मनोज कुमार पांडेय अपनी पीढ़ी के मेरे कुछ प्रिय कथाकारों में हैं. उनकी यह नई कहानी “घंटा’ आई है ‘पल-प्रतिपल’ पत्रिका. पत्रिका तो कहीं मिलती नहीं है सोचा यह कहानी ही पढ़ी पढ़ाई जाए- प्रभात रंजन  ============================================================ जैसा कि कहने का चलन है, इस कहानी की समूची कथा स्थितियाँ और …

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सैराट: दृश्यों में गुंथे रक्त डूबे सवाल

‘सैराट’ फिल्म जब से आई है उस पर कई लेख पढ़ चुका, लेकिन फिल्म नहीं देखी थी. सुदीप्ति के इस लेख को पढने के बाद  लगता है कि फिल्म देखने की अब जरूरत नहीं है. हिंदी में इतनी सूक्ष्मता और इतनी संलग्नता से फिल्म पर कम ही लोग लिखते हैं. …

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स्त्रीत्व को लेकर हिन्दू धर्म का रुख

देवदत्त पट्टनायक हमारे समय में संभवतः मिथकों को आम लोगों की भाषा में पाठकों तक सरल रूप में पहुंचाने वाले सबसे लोकप्रिय लेखक हैं. उनकी नई पुस्तक आई है ‘भारत में देवी: अनंत नारीत्व के पांच स्वरुप‘. यह हिन्दू धर्म में देवी के स्वरुप को लेकर संभवतः पहली पुस्तक है, जिसमें देश …

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नवम्बर की हलकी ठंढ और खुशगवार शाम

उपासना झा की भावप्रवण कविताओं की तरफ ध्यान गया तो पता चला कि वह ‘मन-अमृता’ नाम से एक उपन्यास लिख रही हैं. आज उसका अंश पहली बार जानकी पुल के लिए- मॉडरेटर  ======================================================= मनु की नींद टूटी तो शाम के छह बज रहे थे, घडी पर नजर गयी तो बहुत …

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