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विलियम डेलरिम्पल की दिल्ली

विलियम डेलरिम्पल द लास्ट मुगल के कारण चर्चा में रहे। बरसों पहले उन्होंने दिल्ली पर सिटी ऑफ जिन्स(जिन्नों का शहर), ए ईयर इन दिल्ली नामक पुस्तक लिखकर ख्याति अर्जित की थी। उसके बाद दिल्ली के इतिहास से जैसे उनको प्यार हो गया। उनकी व्हाइट मुगल नामक पुस्तक की पृष्ठभूमि भी …

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‘लव इन द टाईम ऑफ कॉलरा’ से एक संपादित अंश

आधी सदी की प्रेमकहानीजहां तक फ्लोरेंतीनो एरिज़ा की बात है तो उसने उस दिन से एक पल भी उसके बारे में बिना सोचे नहीं बिताया था जब लंबे और तकलीफदेह प्रेम संबंध के बाद आज से 51 साल 9 महीने 4 दिन पहले फरमीना डाज़ा ने उसका प्यार ठुकरा दिया …

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बोलेरो क्लास

बोलेरो क्लास में जाना है, भईया! आप तो मैनेजमेंट पढ़कर कारपोरेट क्लास में चले गए। हमको बोलेरो क्लास में जाना है…बोलेरो क्लास? पिक्कू ने जब पहली बार कहा मैं सचमुच समझ नहीं पाया। एक बार अपने गाँव-कस्बे से बाहर रहने लगिए तो उसकी जुबान भी आपको पराई लगने लगती है… …

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जे.एम. कोएत्जी का उपन्यास ‘समरटाइम’ और लेखक का जीवन

2009 में जे. एम. कोएत्जी के उपन्यास ‘समरटाइम’ पर लिखा था. लेखक के जीवन की निस्सारता को लेकर एक अच्छा उपन्यास है- प्रभात रंजन ================ स्पेनिश भाषा के कद्दावर लेखक मारियो वर्गास ल्योसा ने अपनी पुस्तक लेटर्स टु ए यंग नॉवेलिस्ट में लिखा है कि सभी भाषाओं में दो तरह …

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kundanlal sehgal

संगीत का कुंदन कुंदनलाल सहगल हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार कहे जा सकते हैं। १९३० और ४० के दशक की संगीतमयी फिल्मों की ओर दर्शक उनके भावप्रवण अभिनय और दिलकश प्लेबैक के कारण खिंचे चले आते थे। शरद दत्त की पुस्तक कुंदन उसी गायक-अभिनेता की जीवनी है। उस के. एल. …

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द व्हाइट टाइगर का एक अंश

रोशन भारत, अंधेरा भारत(अरविंद अडिगा के उपन्यास द व्हाइट टाइगर का एक अंश)बंगलोर की ज्यादातर सफल कहानियों की तरह मेरी जीवन कहानी भी बंगलोर से काफी दूर शुरू हुई। अभी तो मैं रोशनी के बीच दिखाई दे रहा हूं, लेकिन मेरी परवरिश अंधेरों में हुई। मैं भारत के एक ऐसे …

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kitabon ki duniya

इंग्लिश में प्रकाशित ऐसी किताबों के बारे में जो हाल में चर्चा में रही, समय समय पर किताबों की दुनिया लेकर आऊंगा.पाकिस्तान की राजनीति का दूसरा चेहरा अंग्रेजी उपन्यास लेखन के क्षेत्र में भारतीय उपन्यासकारों का दबदबा पहले से कम होता जा रहा है। हाल के बरसों में पाकिस्तान-अफगानिस्तान मूल …

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‘लाइटर’ जो मेरी कहानी है! (जानकी पुल की पहली पोस्ट)

जानकी पुल की  यह  पहली पोस्ट है. मेरी अपनी कहानी, जो ‘नया ज्ञानोदय’ में प्रकाशित हुई थी- प्रभात रंजन लाइटर   उस दिन के बाद सब उसे बबलू लाइटर के नाम से बुलाने लगे। नाम तो उसका बबलू सिंह था। जबसे वह राधाकृष्ण गोयनका महाविद्यालय में पढ़ने आया था तबसे …

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