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अनुराग अन्वेषी की प्रेम कविताएं

आज कुछ कविताएं अनुराग अन्वेषी की. कविताओं में इस तरह की ऐन्द्रिकता कम हो गई है इन दिनों जैसी अनुराग जी की इन कविताओं में दिखाई दी. कविताओं में आजकल बयानबाजी बढ़ गई है मन की कोमल अभिव्यक्तियाँ कम होती गई हैं. अनुराग जी की कविताएं पढ़ते हुए इस ओर …

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यह साहित्य के भूकम्पोत्तर काल का आयोजन था!

बिहार में संपन्न हुए अखिल भारतीय कहा समारोह पर यह टिप्पणी पटना के युवा साहित्य प्रेमी, समीक्षक सुशील कुमार भारद्वाज ने लिखी है. ईमानदारी से अपने अनुभवों को बयान किया है- मॉडरेटर  ============================================================= बिहार में साहित्य के प्रति लोगों में गजब का जूनून देखने को मिलता है| इसका ताजा उदाहरण …

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संजीव के उपन्यास ‘फांस’ का अंश

कर्ज के जाल में फंसकर किसानों के मजदूर बनते जाने की पीड़ा को प्रेमचंद ने अपने उपन्यास ‘गोदान’ में उकेरा था. आज कर्ज के जाल में फंसकर किसान आत्महत्या कर रहे हैं तब संजीव का उपन्यास आ रहा है ‘फांस’. आज उसी बहुप्रतीक्षित उपन्यास का एक अंश, जिसको पढ़ते हुए …

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चेतन भगत अंग्रेजी साहित्य के ‘नच बलिये’ हैं!

इन दिनों चेतन भगत ‘नच बलिये’ के जज बनकर चर्चा में हैं. ट्विटर पर उनको लेकर चुटकुलों का दौर जारी है, पूर्व अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना सार्वजनिक रूप से ट्विटर पर उनका मजाक उड़ा चुकी हैं. अपना मजाक उड़ाने वालों का मजाक उड़ाते हुए उन्होंने खुद ट्वीट किया है कि जो …

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भूकंप के झटकों के बीच पटना में कहानी का झटका

पटना में दिनांक 25-27 अप्रैल को आयोजित ‘अखिल भारतीय हिंदी कथा समारोह‘ के बारे में फेसबुक स्टेटस से यह पता चल रहा था कि वहां क्या नहीं हो रहा था. सच बताऊँ तो मुझे सबसे पहले इस आयोजन की खबर अनंत विजय के फेसबुक स्टेटस से ही हुई. बहरहाल, पटना …

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भालचंद्र नेमाड़े के उपन्यास ‘हिन्दू’ का एक अंश

आज मराठी के प्रसिद्ध लेखक भालचंद्र नेमाड़े को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है. उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘हिन्दू’ का एक अंश, जो संयोग से किसान-खेती-बाड़ी करने वालों की दुर्दशा को लेकर है- मॉडरेटर  =====================================================================    हरिजन की लाश किसान के खेत में रहस्यमय मृत्यु या कत्ल? खबर पढ़कर सुनाई …

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कुँवर नारायण की कहनियों में धंसते हुए

युवा लेखक मनोज कुमार पाण्डेय ने यह लेख लिखा है हिंदी के वरिष्ठ कवि-कथाकार कुंवर नारायण की कहानियों को पढ़ते हुए- मॉडरेटर  ===================== कुँवर नारायण अपनी कहानियों की इकलौती किताब ‘आकारों के आसपास’ की भूमिका में लिखते हैं कि, ‘कहानी कहते समय मैं पाठक को यह यकीन दिलाने की कोशिश …

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मीरांबाई की छवि और मीरां का जीवन

बड़ी चर्चा सुनी थी माधव हाड़ा की किताब ‘पंचरंग चोला पहर सखी री’ की. किसी ने लिखा कि मीरांबाई के जीवन पर इतनी अच्छी किताब अभी तक आई नहीं थी. किसी ने इसकी पठनीयता की तारीफ की. बहरहाल, मैंने भी किताब उठाई तो एक बैठक में ही पढ़ गया. यह …

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हृषीकेश सुलभ कथाकार हैं, क्रॉनिकल राइटर नहीं!

हृषीकेश सुलभ के छठे कहानी संग्रह ‘हलंत’ की कहानियों को पढ़ते हुए यह मैंने लिखा है- प्रभात रंजन  ==== ==== हृषीकेश सुलभ की कहानियों का छठा संग्रह ‘हलंत’ पढ़ते हुए बार बार इस बात का ध्यान आया कि संभवतः वे हिंदी के अकेले समकालीन कथाकार हैं जिनकी कहानियों का कंटेंट …

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नेताजी का सच और गुमनामी बाबा का मिथक!

गुमनामी बाबा नेताजी थे- इस बारे में सबसे पहले ‘गंगा’ नामक पत्रिका में पढ़ा था. बात 1985-86 की है. तब फैजाबाद में गुमनामी बाबा की मृत्यु हो गई थी और वहां के एक स्थानीय पत्रकार अशोक टंडन ने कमलेश्वर के संपादन में निकलने वाली पत्रिका ‘गंगा’ में धारावाहिक रूप से …

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