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राहुल सिंह का ‘लंचबॉक्स’

युवा आलोचक राहुल सिंह कई विधाओं में अच्छी दखल रखते हैं, सिनेमा भी उनमें एक है. कुछ अरसे पहले आई फिल्म ‘लंचबॉक्स‘ पर उन्होंने कुछ ठहरकर जरूर लिखा है लेकिन बड़े विस्तार से और बड़ी बारीकी से लिखा है. फिल्म तब अच्छी लगी, अब पढ़ा तो उनका यह विश्लेषण एक …

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सवाल ये है कि ‘नीला स्कार्फ’ है क्या?

इस समय वह हिंदी की एक बड़ी परिघटना है- नीला स्कार्फ. प्री-लांच यानी किताब छपने से पहले इस किताब की अब तक करीब 1400 प्रतियाँ बिक चुकी हैं. इस किताब ने हिंदी के बहुत सारे मिथों को तोड़ दिया है. जिसमें सबसे बड़ा मिथ यह है कि हिंदी में किताब …

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हृषीकेश सुलभ की कहानी ‘हबि डार्लिंग’

हृषीकेश सुलभ बिहार की धरती के सम्भवतः सबसे मौलिक इस रचनाकार ने अपने नाटकों में लोक के रंग को जीवित किया तो कहानियों में व्यंग्य बोध के साथ वाचिकता की परंपरा को. समकालीन जीवन की विडंबनाएं जिस सहजता से उनकी कहानियों में आती हैं, जिस परिवेश, जिस जीवन से वे कहानियां …

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पीयूष मिश्रा के चुनिन्दा गीत

ऐसे सुहाने मौसम में और नहीं कुछ तो पीयूष मिश्रा के गीतों को ही पढ़ा जाए. 90 के दशक में जब मैं दिल्ली विश्वविद्यालय में पढता था तब इन गीतों को बारहा सुना. आज पढ़ के ही संतोष करते हैं. इन गीतों का कोई सम्बन्ध बरसात से नहीं है, शायद …

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ममता सिंह की कहानी ‘धुंध’

रेडियोसखी ममता सिंह खूबसूरत कहानियां भी लिखती हैं. अभी हाल में ही एक पत्रिका में उनकी कहानी पढ़ी- ‘धुंध’. आज आपके लिए प्रस्तुत है यह छोटी सी कहानी, हमारे-आपके जीवन के टुकड़े की तरह- मॉडरेटर. =================================================== शिप्रा रात भर सो नहीं पाई थी, आंखों के सामने पार्टी की तैयारियों के …

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प्रशासनिक सेवाओं में भारतीय भाषाओं के साथ सौतेला व्यवहार क्यों?

यूपीएससी की परीक्षाओं में भारतीय भाषाओं के साथ भेदभाव को लेकर चल रहे आन्दोलन पर सरकारी आश्वासन एक बाद फिलहाल विराम लग गया. लेकिन अखिल भारतीय सेवाओं में भारतीय भाषाओं के साथ भेदभाव का इतिहास पुराना है. वरिष्ठ लेखक, शिक्षाविद प्रेमपाल शर्मा के इस लेख को पढ़कर उस भेदभाव का इतिहास समझ …

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मधुकर सिंह सचमुच जनता के लेखक थे

मैं आरा को नहीं धरहरा, आरा को जानता था, क्योंकि वहां मधुकर सिंह रहते थे. अपने गाँव में रहते हुए जब उनकी कहानियां पढता था तो लगता था अपने गाँव के टोले-मोहल्ले की कहानियां पढ़ रहा हूँ. बाद में जब कहानियां लिखना शुरू किया तो उसके पीछे कहीं न कहीं …

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आस्तीक वाजपेयी की पुरस्कृत कविता ‘विध्वंस की शताब्दी’

इस साल युवा कविता का भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार आस्तीक वाजपेयी को उनकी कविता ‘विध्वंस की शताब्दी’ के लिए देने की घोषणा हुई है. यह लम्बी कविता मनुष्य के अस्तित्व से जुड़े सवालों को उठाती है. आस्तीक की यह कविता बने बनाए आग्रहों, बने बनाए शिल्पों का ध्वंस भी करती है. इस …

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आत्मविस्मृति से आत्मान्वेषण की यात्रा: क्वीन

आजकल सिनेमा पर गंभीर लेख कम ही पढने को मिलते हैं. फ़िल्में आती हैं, कुछ दिन उनकी चर्चा होती है फिर सब भूल जाते हैं. लेकिन कुछ समय बाद कोई किसी फिल्म पर लिखे, उसके ट्रेंड्स की चर्चा करे तो लगता है इस फिल्म में कुछ था. अभी दिल्ली विश्वविद्यालय …

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एक फिल्म रसिक की डायरी के कुछ अनुच्छेद

सिनेमा अन्ततः दृश्यों के माध्यम से कहानी कहने की कला है. अपनी पसंद के कुछ सिने-दृश्यों के माध्यम से युवा लेखिका सुदीप्ति ने एक अच्छा लेख लिखा है. एक बार फिर सिनेमा पर उनका एक पठनीय लेख- मॉडरेटर. ====== यह एक फिल्म समीक्षक की नहीं, फिल्म की एक रसिया की …

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