हिन्दी लेखिकाओं पर यह आरोप लगाया जाता है कि वे राजनीतिक कहानियाँ नहीं लिख सकती। युवा लेखिका सोनाली मिश्र की कहानियों में यही बात आकर्षित करती है कि समकालीन राजनीति के दांव-पेंच उनकी कहनियों में बखूबी आते हैं। जैसे यह कहानी- मॉडरेटर ============================================ अभी अभी विधान सभा के चुनाव हुए …
Read More »दीवानों के देश में एक क्रिकेट मैच
भारत में क्रिकेट मैच देखना भी एक अनुभव होता है. अभी हाल में ही दिल्ली में संपन्न हुए एकदिवसीय क्रिकेट मैच को देखने के अनुभवों को लेकर श्रीमन्त जैनेन्द्र ने यह लेख लिखा है. श्रीमंत खुद क्रिकेट खिलाड़ी रह चुके हैं, खेल, समाज और हिंदी साहित्य विषय पर जेएनयू से एम.फिल. …
Read More »हबीब जालिब की नज़्म ‘लता’
यतीन्द्र मिश्र की किताब ‘लता सुर गाथा’ पढ़ रहा था तो उसमें इस बात के ऊपर ध्यान गया कि इंकलाबी शायर हबीब जालिब जब 1976 में जेल में बंद थे तो वे लता मंगेशकर के गीत सुना करते थे. उन्होंने कहा है कि जेल में उनको जो रेडियो दिया जाता …
Read More »पुरातन शोक का अविस्मरणीय संगीत
25 अक्टूबर को निर्मल वर्मा की पुण्यतिथि है. इस अवसर पर हम समय समय पर कुछ सामग्री देते रहेंगे. आज उनकी रचनाओं के जादू, उसके प्रभाव को लेकर सुश्री श्री श्री का लेख ========================================== निर्मल वर्मा, हिंदी साहित्य का एक ऐसा नाम जिन्होंने कला और कथ्य में शायद ही कोई …
Read More »हरमिंदर सिंह की ‘एच.आर. डायरीज’
किताबों की ऑनलाइन बिक्री ने हिंदी सेल्फ पब्लिशिंग को बढ़ावा दिया है. हाल में ही एक उपन्यास हाथ आया ‘एच.आर. डायरीज‘, कंपनियों के एक एच. आर. विभाग के कार्यकलापों को लेकर लिखा गया. लेखक हैं हरमिंदर सिंह. लेखक का दावा है कि इस विषय को लेकर हिंदी में यह पहला …
Read More »प्रीतपाल कौर की कहानी ‘खिड़की की आँख’
प्रीतपाल कौर एक जमाने में एनडीटीवी की एंकर थीं. संवेदनशील पत्रकार प्रीतपाल कौर की एक संवेदनशील कहानी- मॉडरेटर =================== खिड़की के बाहर का चौकोर आसमान का टुकड़ा खिड़की जितना ही बड़ा है. लेकिन इसमें से भी पूरा आसमान नहीं दिख रहा. दरअसल इस चौकोर खालीपन में जो मुख्य भरावट …
Read More »हमारा प्रेम सिलवटों में कहीं निढाल पड़ा है
इला जोशी की कविताएँ पढ़ते हुए यूँ महसूस होता है, जैसे किसी परिंदे को इस शर्त पर रिहाई मिले कि उसके पंख काट दिए जाएँगे। इन कविताओं में एक अजीब क़िस्म की बेचैनी दफ़्न है, जिसे किसी पवित्र स्पर्श की प्रतीक्षा भी है और उस स्पर्श से छिल जाने का …
Read More »बॉब डिलन को नोबेल और कवि कक्का का फोन!
गायक, गीतकार बॉब डिलन को साहित्य का नोबेल क्या मिला हर तरफ चर्चाओं का बाजार गर्म है. प्रवीण कुमार झा का एक अवश्य पठनीय टाइप व्यंग्य पढ़िए- मॉडरेटर =============================================== कवि कक्का का अचानक फोन आया और डिसकनेक्ट हो गया। कवि कक्का, वही जिनका साहित्य अकादमी दो नम्मर से रह गया …
Read More »शुरुआत ‘कुछ नहीं’ है
स्कूली लेखक अमृत रंजन इस बार बहुत दिनों बाद जानकी पुल पर लौटा है. उसकी कविताओं से हम सब भली भांति परिचित हैं. एक बार उसने स्कूल डायरी लिखी थी और एक बार चेतन भगत के उपन्यास ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ की समीक्षा की थी. इस बार वह कुछ दार्शनिक प्रश्नों से …
Read More »यह फ़िल्म देखते हुए बरबस ही कामसूत्र याद हो आई!
‘पार्च्ड’ फिल्म को लेकर स्त्रीवाद के सन्दर्भ में काफी बहस हुई थी. यह लेख उसी फिल्म के बहाने लिखा है लेखिका दिव्या विजय ने- मॉडरेटर ========= यह फ़िल्म देखते हुए बरबस ही कामसूत्र याद हो आई। नग्न अथवा कामक्रिया के दृश्यों के कारण नहीं वरन् देह की देह के प्रति …
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