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लेखक का काम राजसत्ता को प्रश्नांकित करना है!

श्री उदयन वाजपेयी का लेख ‘जनसत्ता’ में 25 मई को प्रकाशित हुआ था- ‘शायद कुछ नया होने वाला है.’ उसके ऊपर संजीव कुमार और प्रियदर्शन की प्रतिक्रियाएं आई थी. उदयन जी ने उन प्रतिक्रियाओं का जवाब देने के बहाने साभ्यतिक स्तर पर कुछ प्रश्नों को उठाया है. इसका एक हिस्सा …

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पीयूष मिश्रा के गीतों को पढ़ते हुए

हाल में ही एक किताब आई है ‘मेरे मंच की सरगम’. इसमें वे गीत संकलित हैं जो पीयूष मिश्रा ने नाटकों के लिए लिखे थे. उन नाटकों के लिए जिनको एक जमाने में हम उनके गीतों के लिए ही देखते थे. उन गीतों को पढ़ते हुए यह छोटा-सा लेख लिखा …

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कोई बहेलिया जाल फैलाता है, एक गंधर्व गाता है

आज सुबह ‘जनसत्ता’ में प्रियदर्शन की कविताएं पढ़ी. कुछ कविताएं ऐसी होती हैं जिनको पढने सुनने का अनुभव अनिर्वचनीय होता है. उनके बारे में कुछ भी अतिरिक्त कहने का मन नहीं करता. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर. ================ एक बार कुमार गंधर्व को सुनते हुए एक आंख कुछ छलछलाती है होंठ …

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दिलीप कुमार की अंग्रेजी और पेशावर में जश्न

अभी 9 जून को हिंदी सिनेमा के महान अभिनेता दिलीप कुमार की आत्मकथा ‘The Substance And The Shadow’ रिलीज हुई है. इसमें उनके बचपन, उनके सिनेमाई अनुभवों को लेकर काफी रोचक बातें हैं. प्रस्तुत है उसका एक छोटा-सा अंश- मॉडरेटर. ============ मेरे जीवन में देवलाली(मुम्बई के पास एक पहाड़ी जगह) …

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‘बाघ’ कविता का एक पाठ

आम तौर पर शोध पत्र से मैं ‘जानकी पुल’ को बचाता आया हूँ. भारी-भरकम शोध निबंध से इसके टूटने का खतरा बना रहता है. मैंने खुद दिल्ली विश्वविद्यालय से शोध किया है. इसके बावजूद हिंदी विभागों में होने वाले शोध में मेरी कुछ ख़ास आस्था नहीं रही है. लेकिन इसका …

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अमृत रंजन की कविताएं

जनवरी में हमने डीपीएस पुणे में कक्षा छह में पढने वाले बालक अमृत रंजन की कविताएं प्रकाशित की थी. अब वह बालक कक्षा 7 में आ गया है और उसकी कविताओं की जमीन पकने लगी है. बालकोचित खिच्चापन उसमें अभी भी है लेकिन अनुभव और सोच का दायरा विस्तृत हुआ …

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इंसान मिटटी से बना है, शैतान आग से

यह मशहूर फिल्म लेखक, निर्देशक, पत्रकार ख्वाजा अहमद अब्बास की जन्म शताब्दी का साल है. उनकी आत्मकथा ‘आई ऍम नॉट ऐन आइलैंड’ के एक रोचक अंश का अनुवाद किया है भाई सैयद एस. तौहीद ने- जानकी पुल. ================== लोग कहते थे इंसान मिटटी से बना है, शैतान आग से। वैज्ञानिकों …

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कविताओं में भरोसा और भरोसे को लेकर कुछ कविताएँ

अनुराग अन्वेषी की कविताओं से हाल में ही परिचय हुआ और यह सच है कि उनकी कविताओं पर भरोसा बढ़ता जा रहा है. आज पढ़ते हैं भरोसे को लेकर उनकी कुछ कविताएँ- प्रभात रंजन  =========================================================== भरोसा-1 घात-प्रतिघात के एक से बढ़कर एक तूफान देखे हैं मैंने पर हरबार थोड़ा सा …

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हिन्दी फिल्मों का सौंदर्यशास्त्र

आइआइटी-पलट युवा लेखक प्रचण्ड प्रवीर अक्सर अपने सिनेमा ज्ञान से चमत्कृत कर देते हैं. हिंदी में में सिनेमा पर लिखने वाले विद्वानों में मेरे जानते सबसे मौलिक प्रतिभा ब्रजेश्वर मदान में थी, फिर नेत्र सिंह रावत थे. विष्णु खरे और विनोद भारद्वाज मेरे लिहाज से उस सूची में बहुत नीचे …

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क्या ‘आलोचना’ नई चाल में ढलेगी?

बदलाव हमेशा नई उम्मीदों को लेकर आता है. ‘आलोचना’ पत्रिका के नए संपादक के रूप में अपूर्वानंद का नाम सुनकर उम्मीद जगी है. अब यह खबर पक्की है कि ‘आलोचना’ पत्रिका के 53वें अंक से उसके संपादन का दायित्व श्री अपूर्वानंद संभालेंगे. यह उम्मीद तब भी जगी थी जब 8-9 …

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