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पीयूष दईया की तीन कविताएं

पीयूष दईया समकालीन कविता में सबसे अलग आवाज रखते हैं. सफलता-असफलता के मुहावरों से दूर. उनकी कविताओं को पढना जीवन को कुछ और करीब से जानना होता है. उनकी तीन नई कविताएं आपके लिए- प्रभात रंजन ======================= कभी खेलो मत यही खेल है 1।। क़ातिल स्त्रियों से छल करना सीखना …

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उसने यथार्थ को जादुई बना दिया

स्पैनिश भाषा के महान लेखक गैब्रिएल गार्सिया मार्केज़ के मरने के बाद हिंदी में कई बहुत अच्छे लेख लिखे गए, उनके ऊपर कई पत्रिकाओं के अंक उनके ऊपर निकल रहे हैं. यही उनकी व्याप्ति थी, है. कुछ बहुत अच्छे लेखों में मुझे कवि, कथाकार, पत्रकार प्रियदर्शन का यह लेख भी …

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गागर में मौलिक स्थापनाओं का सागर

पिछले सप्ताह कवि-आलोचक, ‘समास’ जैसी कल्पनाशील पत्रिका के संपादक उदयन वाजपेयी का लेख नई सरकार की संस्कृति नीति को लेकर ‘जनसत्ता’ में प्रकाशित हुआ था, जिसे हमने जानकी पुल पर भी लगाया था. इस सप्ताह उस लेख पर टिप्पणी करते हुए प्रखर युवा आलोचक, कथाकार संजीव कुमार का लेख ‘जनसत्ता’ …

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उजाले अब अँधेरे हुए जा रहे हैं

मेरे मेल बॉक्स में अनजान पतों से अच्छी-बुरी रचनाएँ आती रहती हैं. जिनको पढ़कर समकालीन सृजनशीलता का अंदाजा लगता है. कुछ अच्छी कविताएँ पढने को मिली ऋचा शर्मा की. जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में शोध कर रही हैं. कविताओं के माध्यम से अस्तित्व को समझने की कोशिश कर रही …

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माया एंजेलो की कुछ कविताएँ

माया एंजेलो को श्रद्धांजलि स्वरुप उनकी कुछ कविताएं. अनुवाद सरिता शर्मा ने किया है. उनका लिखा एक संक्षिप्त परिचय भी- जानकी पुल. ============================ माया एंजेलो को कई तरह से याद किया जा सकता है. नृत्य के शौकीन उन्हें एक कुशल नर्तकी, फिल्मों में दिलचस्पी लेने वाले लोग उन्हें एक भाव-प्रणव …

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क्या जवाहरलाल नेहरु आस्तिक थे?

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के बारे में यह आम धारणा है कि वे वैज्ञानिक सोच वाले थे, पूर्ण रूप से नास्तिक थे. लेकिन उनके करीबी माने जाने वाले कवि रामधारी सिंह दिनकर ने उनके ऊपर एक किताब लिखी थी- ‘लोकदेव नेहरु‘. उस पुस्तक में नेहरु जी के धार्मिक …

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नेहरु ने भारत को आत्मविश्वासी राष्ट्र बनाया!

आज भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु के पचास साल हो गए. उनके विचारों, उनके कार्यों को याद करते हुए यह लेख वरिष्ठ लेखक नन्द चतुर्वेदी ने लिखा है जो आज के ‘प्रभात खबर’ में प्रकाशित हुआ है. जिन्होंने न पढ़ा हो उनके लिए- जानकी पुल. =============================================== आजादी …

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मध्यवर्ग को मसीहा का इंतज़ार है!

पवन के. वर्मा की नई पुस्तक आई है ‘भारत का नया मध्य-वर्ग’. इस पुस्तक में उन्होंने भारतीय जनतंत्र में बदलावों के सन्दर्भ में मध्यवर्ग की भूमिका को रेखांकित करने का प्रयास किया है. उसी पुस्तक का एक प्रासंगिक अंश. मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद …

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शायद कुछ नया होने वाला है

हिंदी के वरिष्ठ कवि, ‘समास’ जैसी गहन विचार-पत्रिका के संपादक, भारतीयता के विचारक उदयन वाजपेयी का यह लेख आज ‘जनसत्ता’ में प्रकाशित हुआ है. इसे बिना किसी पूर्वाग्रह और दुराग्रह के पढ़े जाने की जरुरत है- जानकी पुल. ======================= हुआ वही है जिसका कम-से-कम मुझे पूरा विश्वास था। मेरी दृष्टि में …

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सूर्योदय हो रहा है मेरी भौंहों की घाटी बीच

महाराष्ट्र में नेरुर पार के एक तटवर्ती गांव में 1946 में जन्मे श्री प्रभाकार कोलते स्वातन्त्र्योत्तर भारत में आधुनिक अमूर्त-कला की पहली पीढ़ी में रज़ा, गायतोण्डे, रामकुमार प्रभृति के बाद अग्रणी नामों में से एक हैं। जे. जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट, मुम्बई में औपचारिक कला-शिक्षा प्राप्त करने के बाद श्री …

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