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ग़ैरपाठकों को भी पाठक बनाना मेरा उद्देश्य है- पंकज दुबे

‘बिहार-यूपी के किसी छोटे गाँव से सत्तू-अचार भरी पेटी लिए, अपने पिता से पाए गए आईएएस बनने के सपने के साथ अधिकतर लोग दिल्ली यूनिवर्सिटी पढ़ाई करने आते हैं। इनमें से बहुतों का एक निज़ी सपना होता है: एक दूधिया गोरी पंजाबी लड़की के साथ सोना।’ इसी प्लॉट पर लिखे …

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इक्कीस बंदूकों की सलामी के साथ सुचित्रा जी रुख़सत हो गयीं!

भारतीय सिनेमा की महान अदाकाराओं में एक सुचित्रा सेन का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनको श्रद्धांजलि देते हुए यह लेख लिखा है ‘अल्पाहारी गृहत्यागी’ उपन्यास के लेखक प्रचंड प्रवीर ने। महज एक हजार शब्दों में कितना बेहतरीन लिखा जा सकता है यह इस युवा लेखक के इस …

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येल्लो, येल्लो, हम न कहते थे!

‘सबलोग’ पत्रिका के नए अंक में ‘आम आदमी पार्टी’ की सीमाओं और संभावनाओं को लेकर कई महत्वपूर्ण लेख आए हैं। लेकिन सबसे जानदार है यह पत्र जो युवा आलोचक संजीव कुमार ने लिखा है। आप भी देखिये और बताइये है कि नहीं- प्रभात रंजन। ====================================== प्यारे अरविंद जी, जी हां, …

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किशोर चौधरी की कहानी ‘प्रेम से बढ़कर’

किशोर चौधरी की कहानियों ने पाठकों में खास पहचान बनाई है। हिन्दी युग्म से उनका नया कहानी संग्रह आ रहा है ‘धूप के आईने में’। उसी संग्रह से यह कहानी। किताब की प्री बुकिंग भी चल रही है। आप कहानी पढ़िये अच्छी लगे तो संग्रह की प्री बुकिंग के लिए …

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‘नीला आसमान’ वाया ‘दूसरी परंपरा’

‘दूसरी परंपरा’ पत्रिका ने अपने कुछ अंकों में नए रचनाकारों को सामने लाने का बढ़िया काम किया है। उसका प्रमाण है शोभा मिश्रा की यह कहानी, जो पत्रिका के नए अंक में आई है। परिवार, परिवार में महिलाओं का जीवन, उसके सपने, कहानी बहुत बारीकी से बुनी गई है। मुझे …

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कुछ कविताएं केदारनाथ सिंह के नए संग्रह से

हमारी भाषा के महान कवियों में एक केदारनाथ सिंह ने इस साल 80 वें साल में प्रवेश किया है, और इसी साल उनका 8 वां कविता संग्रह भी आया है- ‘सृष्टि पर पहरा’। वे आज भी बेहतरीन कविताएं लिख रहे हैं, इस संग्रह की कविताएं इसकी ताकीद करती हैं। कुछ …

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आपने ‘लूजर कहीं का’ पढ़ी है?

लूजर कहीं का– मैंने पढ़ा है इस उपन्यास को। बिहार से दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस आना, सपनों में खो जाना, सपने का टूटना। भाषा से लेकर कहानी तक सबमें ताजगी। कम से कम हम जैसे डीयू वालों के लिए तो मस्ट रीड है, सो भी मस्त टाइप- प्रभात रंजन  …

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ढो रहे हैं अपने पूर्वजों का रक्‍त और वीर्य

हाल में ‘तहलका’ में आए एक लेख के कारण हिन्दी में स्त्री विमर्श फिर से चर्चा में है। प्रसिद्ध रंगकर्मी, लेखिका विभा रानी का यह लेख हालांकि उस संदर्भ में नहीं लिख गया है लेकिन समकालीन स्त्री विमर्श को लेकर इस लेख में कई जरूरी सवाल उठाए गए हैं- जानकी …

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बिमल राय जैसा गैरमामूली फिल्मकार मर सकता है?

आज हिन्दी सिनेमा के मुहावरे को बदल कर रख देने वाले फ़िल्मकार बिमल राय की पुण्यतिथि है।युवा फिल्म समीक्षक सैयद एस॰ तौहीद ने अपने इस लेख में उनको याद करते हुए उनकी फ़िल्मकारी के कई ऐसे पहलुओं के बारे में लिखा है जिनके बारे में लोग कम जानते हैं- जानकी …

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जिंदगी अजीब है, मौत भी अजीब होती होगी

इस साल की पहली किताब मैंने पढ़ी ‘Lovers like You and I’. मीनाक्षी ठाकुर के इस उपन्यास ने बहुत प्रभावित किया। एक अच्छी प्रेमकथा की तरह इसमें प्रेम की गहरी तड़प है। चिट्ठियों, कविताओं के सहारे लेखिका ने इसे प्रेम के संग्रहालय की तरह बना दिया। शब्दों का एक ऐसा …

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