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का खाएँ का पिएँ का ले परदेस जाएँ

प्रसिद्ध आलोचक-अनुवादक गोपाल प्रधान ने यह लोक कथा भेजते हुए याद दिलाया की आज के सन्दर्भ में इसका पाठ कितना मौजू हो सकता है. सचमुच चिड़िया और दाना की यह कथा लगता है है आज के दौर के लिए ही लिखी गई थी- जानकी पुल. ==================================== एक चिड़िया को दाल …

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वरिष्ठ लेखकों की नजर में हिंदी का क्लासिक साहित्य

हिंदी साहित्य में क्लासिक की खोज में युवा लेखक-पत्रकार विनीत उत्पल ने हिंदी के कुछ प्रमुख लेखकों से बात की और यह जानने की कोशिश की कि आखिर उनकी नजर में कालजयी कृतियाँ कौन-सी हैं.  उदय प्रकाश, राजेंद्र यादव, निर्मला जैन, काशीनाथ सिंह, विश्वनाथ त्रिपाठी, चित्रा मुद्गल और देवेन्द्र राज …

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उन्होंने कर्नाटक के कस्बों से मालगुड़ी का निर्माण किया

मैसूर में अंग्रेजी के प्रमुख लेखक आर.के. नारायण के घर को स्मारक बनाने का निर्णय हुआ तो कन्नड़ के  अनेक प्रमुख लेखकों ने उसका विरोध करना शुरु कर दिया. उनका कहना है कि आर. के. नारायण अंग्रेजी के लेखक थे कन्नड़ के नहीं, इसलिए कर्नाटक में उनका स्मारक नहीं बनना …

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तुषार धवल की कविता ‘सुनती हो सनी लियॉन’

तुषार धवल की कई कविताओं में समकालीन समय का मुहावरा होता है. अपने दौर के कवियों में कविता के विषय, काव्य रूपों को लेकर जितने प्रयोग तुषार ने किए हैं शायद ही किसी कवि ने किए हैं. पढ़िए उनकी एकदम ताजा कविता- मॉडरेटर . ===================== सुनती हो सनी लियॉन ? …

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ओमा शर्मा की पुरस्कृत कहानी ‘दुश्मन मेमना’

ओमा शर्मा हमारे दौर के प्रमुख कथाकार हैं. उनको ‘रमाकांत स्मृति कथा-सम्मान’ दिए जाने की घोषणा हुई है. प्रस्तुत है उनकी पुरस्कृत कहानी : जानकी पुल ====================================================================== वह पूरेइत्मीनानसेसोयीपड़ीहै।बगलमेंदबोचेसॉफ्टतकिएपरसिरबेढंगापड़ाहै।आसमानकीतरफकिएअधखुलेमुंहसेआगेवालेदांतोंकीकतारझलकरहीहैं।होंठ कुछ पपडा़ से गए हैं,सांस का कोई पता ठिकाना नहीं है। शरीर किसी  खरगोशकेबच्चेकीतरहमासूमियतसेनिर्जीवपड़ाहै।मुड़ी–तुडी़  चादरकादोतिहाईहिस्साबिस्तरसेनीचेलटकापड़ाहै।सुबहकेसाढ़ेग्यारहबजरहेहैं।हरछुट्टीकेदिनकीतरहवहयूंसोयीपड़ीहैजैसेउठनाहीनहो।एक–दो बार मैंने दुलार से उसे ठेला …

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वे व्यवस्थित और कलात्मक ढंग से हिन्दी का नाश करते हैं

युवा विमर्शकार, ब्लॉगर विनीत कुमार का यह लेख इस सवाल के जवाब से शुरु हुआ कि आखिर हिंदी के भविष्य को लेकर किए जाने वाले आयोजनों में युवा लेखकों को क्यों नहीं बुलाया जाता है, लेकिन उन्होंने बड़े विस्तार से हिंदी के वर्तमान परिदृश्य और युवा लेखन के अपने अंतर्विरोधों …

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ई-चरखे पर सूत कातते गाँधी

हाल में ही मुंबई में ‘एटर्नल गाँधी’ शीर्षक से प्रदर्शनी लगी थी. आज बापू के जन्मदिन पर उसी प्रदर्शनी के बहाने गांधी को याद कर रहे हैं कवि-संपादक निरंजन श्रोत्रिय– जानकी पुल.=================================================          पिछले दिनों मुंबई में एक “अद्भुत” प्रदर्शनी देखने का अवसर मिला! फ़ोर्ट एरिया के …

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मैं पुरस्कारों को गम्भीरता से नहीं लेता

हाल में ही युवा कथाकार चंदन पांडे का कहानी संग्रह पेंगुइन से आया है ‘इश्कफरेब’. इस अवसर पर प्रस्तुत है उनसे एक बातचीत. यह बातचीत की है युवा कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा ने- जानकी पुल. === === ===  त्रिपुरारि : चंदन जी, पहले तो आपकी नई किताब ‘इश्क़फ़रेब’ के लिए …

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मैं अन्याय के बारे में बोलना चाहता हूँ

‘कान्हा प्रकरण’ की स्मृतियाँ भले मिट चुकी हों लेकिन हिंदी के दो वरिष्ठ लेखक-कवियों में सवाल जवाब का सिलसिला अभी जारी है. पढ़िए विष्णु खरे का स्पष्टीकरण और एक कविता राजेश जोशी की- जानकी पुल. ===================================================================== कान्हा-शिल्पायन सान्निध्य में शिरकत को लेकर अन्य भागीदारों सहित साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता राजेश …

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कुछ भी नहीं है पास, एक उम्मीद है

मुकुल सरल हिंदी गजल की यशस्वी परम्परा में आते हैं. कल ‘कवि के साथ’ कार्यक्रम में इण्डिया हैबिटेट सेंटर में उनको सुनने का अवसर होगा. फिलहाल आज यहां उनकी गजलें पढते हैं- जानकी पुल. ========================================================== ग़ज़ल (1) घर में जाले, बाहर जाल क्या बतलाएं अपना हाल? दिन बदलेंगे कहते–सुनते बीते …

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