Home / ब्लॉग (page 89)

ब्लॉग

फौज़िया रियाज़ की कहानी ‘फ़ैसला’

फौज़िया रियाज़ रेडियो जॉकी हैं. कहानियां भी लिखती हैं. उनकी यह कहानी समकालीन जीवन के उहापोहों को लेकर है और हिंदी में आजकल जिस तरह की कहानियां लिखी जा रही हैं उनसे थोड़ा हटकर हैं. अच्छी है या बुरी ये फैसला आप खुद कीजिये- जानकी पुल. ============================================= वह गिर जाती अगर …

Read More »

तुम थे हमारे समय के राडार

आज महान समाजवादी विचारक-नेता किशन पटनायक की पुण्यतिथि है. प्रस्तुत है उनको याद करते हुए राजेंद्र राजन की कविता- जानकी पुल. ======================== तुम थे हमारे समय के राडार तुम थे हमारे ही तेजस रूपहमारी चेतना की लौहमारी बेचैनियों की आंखहमारा सधा हुआ स्वरहमारा अगला कदम। जब राजनीति व्यापार में बदल …

Read More »

सोने की इस मरी हुई चिड़िया को बेच कर चला जाऊंगा

आज के हालात पर पढ़िए विमल कुमार की यह कविता- जानकी पुल. ============================================= * * तुम देखते रह जाओ मैं नदी नाले तालाब शेरशाह सुरी का ग्रांड ट्रंक रोड नगर निगम की कार पार्किग चांदनी चौक के फव्वारे सब कुछ बेच कर चला जाऊंगा मैं चला जाऊंगा बेचकर अपने गांव …

Read More »

दुनिया-भर के गुण दिखते है औगुनिया में

पिछले दिनों राजेश जोशी, कुमार अम्बुज और नीलेश रघुवंशी का एक पत्र छपा था भारत भवन भोपाल के सन्दर्भ में. उसको लेकर आलोचक विजय बहादुर सिंह ने लिखा है- जानकी पुल. ==================================================== 19 अगस्त 2012 के रविवार्ता का जो अहम अग्रलेख आपने छापा है, उसका शीर्षक है ‘सांस्कृतिक विकृतीकरण फासीवाद …

Read More »

इंटरनेट है तो फ्रेंडशिप है फ्रेंडशिप है तो शेयरिंग है

कल ‘जनसत्ता’ में सुधीश पचौरी का यह लेख आया था. जिन्होंने नहीं पढ़ा हो उनके लिए इसे साझा कर रहा हूं- प्रभात रंजन  ================ यों यह एक इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी का विज्ञापन मात्र है। लेकिन यह विज्ञापन, अनेक विज्ञापनों में प्रतिबिंबित समाज की आकांक्षाओं के बीच कुछ खास कहता दिखता …

Read More »

जिंदगी तुम्हारी शुभाकांक्षाओं के उजास से

आज कलावंती की कविताएँ. कलावंती जी कविताएँ तो लिखती हैं लेकिन छपने-छपाने में खास यकीन नहीं करतीं. मन के उहापोहों, विचारों की घुमडन को शब्द भर देने के लिए. इसलिए उनकी कविताओं में वह पेशेवर अंदाज नहीं मिलेगा जो समकालीन कवियों में दिखाई देता है, लेकिन यही अनगढता, यही सादगी …

Read More »

भारत रत्न का अगला कोई हकदार है तो वर्गीज कुरियन

श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन को लेकर श्रद्धांजलियों का दौर थम चुका है. उनके योगदान का मूल्यांकन करते हुए उनके महत्व को रेखांकित कर रहे हैं प्रेमपाल शर्मा– जानकी पुल. ================================================= अमूल के अमूल्य जनक वर्गीज कुरियन नहीं रहे । रेलवे कॉलिज बड़ौदा के दिनों में उनका कई बार …

Read More »

आलोचना का गल्पित पाठ

संजीव कुमार ऐसे आलोचक हैं जिनकी आलोचना-भाषा सर्जनात्मक गद्य का आनंद देती है. यही लेख देखिये- है तो आलोचना की भाषा पर बेहद गुरु-गंभीर टाइप लेख और मैं हूं कि इसकी भाषा पर मुग्ध हुआ जा रहा हूं. शायद इसी को लालित्यपूर्ण पांडित्य कहते होंगे. बहरहाल, यह लेख उन्होंने हाल …

Read More »

डाह का साहित्यशास्त्र

युवा लेखक आशुतोष भारद्वाज हिंदी के साहित्यिक परिदृश्य पर- जानकी पुल. ===================================================  माहौल इस कदर खौफनाक हिंदी में क़िबला कि कहीं शिरकत करें तो पहले मेजबान से सभी संभावित-असंभावित प्रतिभागियों-श्रोताओं की सूची और उनकी विस्तृत जन्मकुंडली मंगा लें, जन्मोपरांत उनकी सभी गतिविधियों का बारीकान्वेषण समेत. नहीं तो आपके बगल में कोई …

Read More »

भैया एक्सप्रेस और चाचा की टिप्पणी

‘बया’ पत्रिका का नया अंक अरुण प्रकाश पर एकाग्र है. इसमें मैंने भी अरुण प्रकाश जी के ऊपर कुछ संस्मरणनुमा लिखा है. देखिएगा- प्रभात रंजन  ================================= जब भी अरुण प्रकाश याद आते हैं मुझे अपना गाँव याद आ जाता है. सीतामढ़ी में इंटरमीडिएट का विद्यार्थी था. राजनीतिशास्त्र के प्राध्यापक मदन …

Read More »