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सिनेमा में काशी भी है और अस्सी भी!

फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ की समीक्षा लिखी है रांची के नवीन शर्मा ने- मॉडरेटर ========================================== किसी भी साहित्यिक कृति चाहे वो कहानी हो , उपन्यास हो या फिर आत्मकथा उस पर फिल्म बनाना बहुत जोखिम का काम है। यह दोधारी तलवार पर चलने के समान है। इसमें संतुलन बनाए रखना बेहद …

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तथ्य और सत्य के बीच फेक न्यूज

युवा पत्रकार अरविन्द दास का यह लेख फेक न्यूज को लेकर चल रही बहस को कई एंगल से देखता है. उसके इतिहास में भी जाता है और वर्तमान पेचीदिगियों से भी उलझता है. अरविन्द दास पत्रकार हैं, पत्रकारिता पर शोध कर चुके हैं और हाल में ही उनके लेखों का …

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रेंगने वाली हिंदी अब उड़ रही है!

हिंदी की स्थिति पर मेरा यह लेख ‘नवभारत टाइम्स’ मुम्बई के दीवाली अंक में प्रकाशित हुआ है- प्रभात रंजन =========================== मेरी बेटी नई किताबों को खरीदने के लिए सबसे पहले किंडल स्टोर देखती है, जहाँ अनेक भाषाओं में लाखों ईबुक मौजूद हैं जिनमें से वह अपनी पसंद की किताब खरीद …

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यह सामा-चकेवा का मौसम है

कार्तिक मास के बढ़ते चाँद के साथ मिथिला-तिरहुत के लोगों की स्मृतियों में सामा चकेवा आ जाता है. भाई-बहन के प्रेम के इस पर्व पर यह लेख लिखा है मुकुल कुमारी अलमास ने- मॉडरेटर ============ कार्तिक माह का शुक्लपक्ष जब भी आता है और मैं दिन-दिन बढ़ते चाँद को देखती …

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हर लिहाज़ से एक सराहनीय फिल्म है ‘पीहू’

फिल्म ‘पीहू’ की समीक्षा सैयद एस. तौहीद द्वारा लिखी हुई- मॉडरेटर ===================================== कल्पना कीजिए एक ऐसी कहानी जिसमें अकेली मासूम घर में अकेली रह जाए। बच्ची खुद ही खाना बनाए और फिर गैस को जलता हुआ छोड़ दे। खुद को फ्रिज में बंद कर ले। ऐसे कई हैरत से भरे …

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पिता व पुत्री के सुंदर रिश्ते पर आधारित ‘The Frozen Rose’

ईरानी शार्ट फिल्म ‘फ्रोज़ेन रोज’ पर सैयद एस. तौहीद की टिप्पणी- मॉडरेटर ============================================ इंसान दुनिया में जिस किसी को मोहब्बत में जान से ज्यादा अजीज बना लेता है परवरदिगार उसे उस जैसा बना दिया करता है. खुदा की दूसरी दुनिया के बाशिंदों को इंतज़ार करने वाली रूहें कहना चाहिए. इंसान …

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‘patna blues’ उपन्यास के लेखक अब्दुल्ला खान की नज़्में

अब्दुल्ला खान इन दिनों अपने उपन्यास ‘patna blues’ के कारण चर्चा में हैं. वे पेशे से बैंकर हैं. मुंबई में टीवी के लिए स्क्रीनप्ले लिखते हैं, गाने लिखते हैं. आज उनकी कुछ नज़्में पढ़िए- मॉडरेटर ====== कुछ यादें माज़ी के दरीचे से कुछ यादें उतर आयीं हैं मेरे ख्यालों के …

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दरवेश सोई जो दर की जानें

रज़ीउद्दीन अक़ील दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में असोसियेट प्रोफ़ेसर हैं. मध्यकालीन इतिहास के वे उन चंद विद्वानों में हैं जिन्होंने अकादमिक दायरे से बाहर निकलकर आम पाठकों से संवाद करने की कोशिश की है, किताबें लिखी हैं. वे किताबें जरूर अंग्रेजी में लिखते हैं लेकिन बहुत अच्छी हिंदी भी …

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दोन किख़ोते: विश्व साहित्य की एक धरोहर

स्पैनिश साहित्य की अमर कृति ‘दोन किख़ोते’ पर यह लेख सुभाष यादव ने लिखा है. वे हैदराबाद विश्वविद्यालय में स्पैनिश भाषा के शोधार्थी हैं, मूल स्पैनिश भाषा से हिंदी में अनुवाद करते हैं. एक विस्तृत और रोचक लेख- मॉडरेटर ============================= वैसे भी भला नाम में  में क्या रखा है जो …

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रघुराम जी. राजन की पुस्तक ‘I Do What I Do’ का एक अंश

इन दिनों रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन नोटबंदी और जीएसटी को लेकर अपने बयान से चर्चा में हैं. पिछले साल जब उनकी किताब आई थी तब वह किताब भी बेहद चर्चा में रही. अर्थशास्त्र की किताब बेस्टसेलर सूची में आई. उस किताब में भी वर्तमान सरकार की आर्थिक …

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