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भविष्य का भयावह कथानक है ‘रेखना मेरी जान’

‘रेखना मेरी जान’– रत्नेश्वर सिंह के इस उपन्यास की छपने से पहले जितनी चर्चा हुई छपने के बाद इसके अलग तरह के कथानक की चर्चा कम ही हुई. यह हिंदी का पहले उपन्यास है जिसका विषय ग्लोबल वार्मिंग है, जो केवल भारत की कहानी नहीं कहता. इसकी एक विस्तृत समीक्षा …

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पद्मावत – ऐतिहासिक गल्पों की सबसे मज़बूत नायिका की कहानी

पद्मावत फिल्म को अपने विरोध-समर्थन, व्याख्याओं-दुर्व्यख्याओं के लिए भी याद किया जायेगा. इस फिल्म पर एक नई टिप्पणी लिखी है युवा लेखिका अणुशक्ति सिंह ने- मॉडरेटर ======================= पद्मावत- एक महाकाव्य – जिसे पंद्रहवीं/सोलहवीं सदी के घुम्मकड़ कवि मलिक मुहम्मद जायसी के कवित्त ह्रदय ने रचा था. यह दिल्ली सल्तनत और …

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फिल्म में लड़ाई पद्मावती के लिए नहीं बल्कि पद्मावती से है

इसमें कोई शक नहीं कि हाल के दिनों में सबसे अधिक व्याख्या-कुव्याख्या संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर हुई. बहरहाल, यह एक व्यावसायिक सिनेमा ही है और मनोरंजक भी है. इस फिल्म पर जेएनयू में कोरियन भाषा की शोधार्थी कुमारी रोहिणी की समीक्षा- मॉडरेटर ============================= बात तो सच …

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प्रदीपिका सारस्वत की कविताओं में कश्मीर

बहुत दिनों बाद कश्मीर पर कुछ अच्छी कविताएँ पढ़ी. कुछ कुछ अपने प्रिय कवि आगा शाहिद अली की याद आ गई. कवयित्री हैं प्रदीपिका सारस्वत. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर ==================================================== 1. मेरे ख़्वाब में चारों तरफ़ बिखरे पड़े हैं क़िस्से दिल्ली की बेमौसम धुँध में साँस-साँस घुटते मैं देखती हूँ किसी …

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रहस्य-अपराध की दुनिया और हिन्दी जगत का औपनिवेशिक दौर

इतिहासकर अविनाश कुमार का यह लेख हिंदी के लोकप्रिय परिदृश्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का बहुत बढ़िया आकलन है. अविनाश जी ने बीसवीं शताब्दी के आरंभिक दो दशकों के हिंदी साहित्य के सार्वजनिक परिदृश्य विषय पर जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से पीएचडी की थी. डेवलपमेंट के क्षेत्र में बरसों से काम कर …

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ललित लवंगलतापरिशीलन कोमल मलय शरीरे!

आज वसंतपंचमी है. इस मौके पर युवा लेखक विमलेन्दु का यह लेख- मॉडरेटर ======================================== गीता के सातवे अध्याय के ग्यारहवें श्लोक में श्रीकृष्ण उद्घोषणा कर रहे हैं कि मैं धर्म के अविरुद्ध काम हूँ. मेरे भीतर कृष्ण का यह उद्घोष उसी दिन से धीरे-धीरे बजने लगा है, जिस दिन से …

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उपासना झा की कहानी ‘सारा आकाश’

इधर युवा लेखिका उपासना झा की रचनाओं ने सबका ध्यान आकर्षित किया है. विषय, भाषा, संतुलन, भाषा का संयम. उनकी रचनाओं को पढ़ते हुए यह लगता ही नहीं है कि किसी युवा लेखक को पढ़ रहे हों. जैसे यह कहानी- मॉडरेटर  ============ रात भर तेज़ बारिश हुई थी। आँगन में, …

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‘ब्रह्मभोज’ पर उपासना झा की टिप्पणी

सच्चिदानंद सिंह के कहानी संग्रह ‘ब्रह्मभोज’ पर युवा लेखिका उपासना झा की टिप्पणी पढ़िए- मॉडरेटर ================================================ हिंदी-साहित्य में लगातार बिना शोर-शराबे और सनसनी के भी लेखन होता रहा है। सच्चिदानद सिंह का पहला कहानी संग्रह ‘ब्रह्मभोज’ इसी कड़ी में रखा जा सकता है। जीवन के अनुभवों और लेखकीय निरपेक्षता को समेटे …

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‘बहत्तर धडकनें तिहत्तर अरमान’ और एक समीक्षा

समकालीन पीढ़ी की सिद्धहस्त लेखिका आकांक्षा पारे काशिव का कहानी संग्रह आया है ‘बहत्तर धडकनें तिहत्तर अरमान’. आकांक्षा चुपचाप अपना काम करती हैं, बिना किसी शोर शराबे के. उनकी कहानियों में जो ‘विट’ होता है वह किसी समकालीन लेखक की रचनाओं में नहीं है. आज उनके इस संग्रह की समीक्षा …

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सुशील कुमार भारद्वाज की कहानी ‘मंझधार’

सुशील कुमार भारद्वाज युवा लेखक हैं, हाल में उन्होंने कुछ अच्छी कहानियां लिखी हैं. उनकी कहानियों का एक संकलन किन्डल पर ईबुक में उपलब्ध है. यह उनकी एक नई कहानी है- मॉडरेटर ===========================================  चाहकर भी मैं खुश नहीं रह पाता हूँ. हंसता हूँ पर आत्मा से एक ही आवाज आती- “क्या …

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