पिछले कुछ सालों से युवा कविता के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार मिलने के बाद बहस-विवाद की शुरुआत हो जाती है. बहस होना कोई बुरी बात नहीं है. भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार की शुरुआत साल की सर्वश्रेष्ठ युवा कविता को पुरस्कृत करने के लिए किया गया था. लेकिन साल …
Read More »तन्हाई का अंधा शिगाफ़ : भाग-2
आप पढ़ रहे हैं तन्हाई का अंधा शिगाफ़। मीना कुमारी की ज़िंदगी, काम और हादसात से जुड़ी बातें, जिसे लिख रही हैं विपिन चौधरी। पहला भाग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। आज पेश है दूसरा भाग – त्रिपुरारि ======================================================== छोटी सी ‘मुन्ना’ की अनोखी कहानी अक्सर बच्चे स्कूल जाने …
Read More »मीना कुमारी और तन्हाई का अंधा शिगाफ़ : भाग-1
ख़ुद ही को तेज़ नाख़ूनों से हाए नोचते हैं अब हमें अल्लाह ख़ुद से कैसी उल्फ़त होती जाती है – मीना कुमारी भारतीय सिनेमा की मशहूर अदाकारा मीना कुमारी के बारे में हम सब टुकड़ों-टुकड़ों में बहुत कुछ जानते हैं। लेकिन बहुत कुछ है जो अनकहा है, अनसुना है। आज …
Read More »आज भी मोहम्मद रफी की आवाज का कोई सानी नहीं
आज प्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी की पुण्यतिथि है। उनकी गायकी को याद करते हुए यह लेख युवा लेखक विमलेंदु ने लिखा है- ========== कौन भूल सकता है मो. रफी को ! भले ही उनको हमसे जुदा हुए तैंतीस साल हो गए हों, पर एक लम्हे को भी कभी महसूस हुआ …
Read More »नागार्जुन मुक्तिबोध से बड़े कवि :खगेन्द्र ठाकुर
पटना अक्सर राजनीति के लिए चर्चा में रहता है। साहित्य की राजनीति भी वहाँ की खूब है। पिछले दिनों प्रगतिशील लेखक संघ ने मुक्तिबोध की याद में आयोजन किया था। उसमें भी लेखकों की राजनीति प्रकट हुई है। इस कार्यक्रम की एक संतुलित रपट भेजी है युवा लेखक सुशील कुमार …
Read More »पसीने की कविता जो दरकते खेत में उगती है
आज प्रस्तुत हैं विवेक चतुर्वेदी की कविताएँ – संपादक ===================================================== पसीने से भीगी कविता एक पसीने की कविता है जो दरकते खेत में उगती है वहीं बड़ी होती है जिसमें बहुत कम हो गया है पानी उस पहाड़ी नाले में नहाती है अगर लहलहाती है धान तब कजरी गाती है …
Read More »सलूक जिससे किया मैने आशिकाना किया !
आज नामवर सिंह जी का जन्मदिन है। उनके ऊपर बहुत अच्छा लेख युवा लेखक विमलेंदु ने लिखा है- मौडरेटर ====================================================== पिछली 28 जुलाई को नामवर सिंह जब नब्बे साल के हुए तो उनके विरोधी उन्हें चुका हुआ मानकर उत्साह के अतिरेक में थे. उनके जन्मदिन पर इन्दिरा गाँधी कलाकेन्द्र, दिल्ली …
Read More »युवा शायर #18 प्रदीप ‘तरकश’ की ग़ज़लें
युवा शायर सीरीज में आज पेश है प्रदीप ‘तरकश’ की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ====================================================== ग़ज़ल-1 मैं अगर हूँ भी तो बाज़ार की सूरत में नहीं सो मैं तुझ ऐसे ख़रीदार की क़िस्मत में नहीं इतना कहना है मुझे प्यार बहुत है तुम से और ये भी कि ये कहना मेरी …
Read More »सदैव की कविताएँ
आज प्रस्तुत हैं सदैव की कविताएँ – संपादक ======================================================== हम इस पेड़ को याद रखेंगे ———– तंग पगडंडियों से बियाबान जंगलों के बीच होकर दलदली जमीन में कमर तक धंसा घुप अंधेरे या भरी दोपहर खाली सवेरों-शामों से जब मैं चलता जाता था निर्जन पठारों पर कभी कभी बर्फीली हवाओं …
Read More »काश बुरके के भीतर लिपस्टिक की बजाय सपना पलता!
फिल्म लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ पर एक अच्छी टिप्पणी युवा लेखिका निवेदिता सिंह की- मौडरेटर ============================================= लिपस्टिक अंडर माए बुरखा फ़िल्म तब से चर्चा में है जबसे से इसका निर्माण शुरू हुआ है पर फ़िल्म ज्यादा चर्चित तब हुई जब रिलीज से पहले फ़िल्म सेंसर बोर्ड में अटक गई। अटकना …
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