प्रमोद द्विवेदी पत्रकार रहे हैं। जनसत्ता अख़बार में फ़ीचर संपादक। कहानियाँ कम लिखते हैं लेकिन अपने ग़ज़ब की पठनीय कहानियाँ लिखते हैं। उनके किरदार याद रह जाते हैं। यह कहानी पढ़िए- ================== जनवरी की सर्दी में सुबह-सुबह पांच बजे घमंडी यादव का घबराया हुआ फोन आया, ‘गुरु गीता बाली के …
Read More »गांधीजी गेहूं की खेत की तरह हैं तो टैगोर गुलाब बाग की तरह
संजय कृष्ण पेशे से पत्रकार हैं और चित्त से शोधार्थी। उन्होंने कई दुर्लभ किताबों की खोज की है और उनका प्रकाशन भी करवाया है। उनका यह लेख चरखे को लेकर गांधी-टैगोर बहस के बहाने कई बड़े मुद्दों को लेकर है- ======================= सन् 1915 से लेकर 1947 तक के कालखंड को …
Read More »टीआरपी के बलवे में जिम्मेदार पत्रकारिता की हत्या
इस लेख के लेखक अजय बोकिल नईदुनिया सहित कई प्रमुख समाचार पत्रों में जुड़े रहे हैं। उनका एक कहानी संग्रह ‘पास पड़ोस’ के अलावा शोध ग्रन्थ ‘श्री अरविंद की संचार अवधारणा’ प्रकाशित हैं। फिलहाल वे ‘सुबह सबेरे’ (भोपाल) के वरिष्ठ संपादक हैं- ============== एक संदिग्ध मौत कितने चेहरे बेनकाब कर …
Read More »अंधेरे देश, कंजे राजा और गंजे महामंत्री कथा: मृणाल पाण्डे
बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथायें सीरिज़ की यह 18वीं कथा है। प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे लोक कथाओं के पिटारे से ऐसी कथाएँ निकाल रही हैं जिनसे हमें अपना समकाल बेहतर समझ में आने लगता है। लेखिका को इसकी मूल लोक कथा तमिल से कवि ए के रामानुजन द्वारा …
Read More »कविता शुक्रवार 17:जोशना बैनर्जी आडवानी की कविताएँ रवींद्र व्यास के चित्र
कविता शुक्रवार के इस अंक में जोशना बैनर्जी आडवानी की कविताएं और रवींद्र व्यास के चित्र शामिल हैं। जोशना बैनर्जी आडवानी का जन्म 31 दिसंबर, 1983 में आगरा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। आगरा में ही शिक्षा पूरी की। सेंट कॉनरेड्स इंटर कॉलेज से स्कूलिंग की। ग्रैजुएशन, पोस्ट ग्रैजुएशन, बी.एड, …
Read More »आप ‘वेबिनार कल्चर’ से बचे रहें, यही काफी है!
अजय बोकिल भोपाल में रहते हैं, संपादक हैं। उनका यह छोटा सा लेख पढ़िए- ================ हालत कुछ ऐसी ही है, आप ‘कोरोना’ से बच सकते हैं, लेकिन वेबीनार से नहीं। एक से पल्ला छुड़ाएंगे तो दूसरा जकड़ लेगा और चाहे-अनचाहे आपके वाॅ्टस एप पर लिंक डाल …
Read More »श्रीमती हेमन्त कुमारी देवी: उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध का स्त्री पक्ष
क्या उन्नीसवीं सदी को लेकर हिंदी साहित्य का जो विमर्श है वह इतना अधिक भारतेंदु हरिश्चन्द्र केंद्रित है कि अनेक लेखकों की उपेक्षा हुई? ख़ासकर लेखिकाओं की? युवा अध्येता सुरेश कुमार के इस शोधपरक लेख में पढ़िए- ===================== हिन्दी साहित्य में विमर्श के बिंदु भारतेन्दु की आभा के इर्द गिर्द …
Read More »महात्मा गांधी के विचारों के आलोक में राजभाषा कार्यान्वयन
डॉ. बी. बालाजी मिश्र धातु निगम लिमिटेड में उप प्रबंधक (हिंदी अनुभाग एवं निगम संचार) हैं। राजभाषा कार्यान्वयन के संदर्भ में उनका यह लेख पढ़िए- ==================== 15 अगस्त 1947 को बीबीसी के पत्रकार से बातचीत के दौरान महात्मा गांधी ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि “पूरी दुनिया से कह …
Read More »वक़्त है फूलों की सेज, वक़्त है काँटों का ताज
प्रबोध कुमार गोविल ने अभिनेत्री साधना जी जीवन कथा लिखी है जिसका प्रकाशन बोधि प्रकाशन ने किया है। उसी किताब की समीक्षा की है प्रवीण प्रणव ने। आप भी पढ़ सकते हैं- ================= बोधि प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित प्रबोध कुमार गोविल की किताब ‘ज़बाने यार मनतुर्की’ हाल में ही पढ़ने …
Read More »कृष्णनाथ की पुस्तक ‘पृथ्वी परिक्रमा’ की काव्यात्मक समीक्षा
कृष्णनाथ की प्रसिद्ध पुस्तक ‘पृथ्वी परिक्रमा’ की यह कविता समीक्षा की है यतीश कुमार ने। आप भी आनंद लीजिए- =============== 1. पश्चिमी हवा है और यात्रा भी पर ध्येय तो पूरबी है और जिज्ञासा भी सहज निसर्ग आनंद की तलाश बाह्य परिवर्तनों को बूझने का लक्ष्य किसिम-किसिम …
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