Home / Featured (page 57)

Featured

Featured posts

हंस प्रकाशन राजकमल प्रकाशन परिवार का हिस्सा बना

प्रेमचंद के पुत्र अमृत राय द्वारा 1948 में स्थापित हंस प्रकाशन आज से राजकमल प्रकाशन समूह का हिस्सा हो गया है। प्रेमचंद की जयंती के दिन की यह उल्लेखनीय घटना है। हंस प्रकाशन का ऐतिहासिक महत्व रहा है और इसकी अपनी समृद्ध विरासत है। आशा है अब हम नए सिरे …

Read More »

प्रेमचंद का पत्र जयशंकर प्रसाद के नाम

  आज प्रेमचंद की जयंती पर उनका यह पत्र पढ़िए जयशंकर प्रसाद के नाम है। उन दिनों प्रेमचंद मुंबई में थे और फ़िल्मों के लिए लेखन कर रहे थे- =======================   अजंता सिनेटोन लि. बम्बई-12 1-10-1934   प्रिय भाई साहब, वन्दे! मैं कुशल से हूँ और आशा करता हूँ आप …

Read More »

कविता शुक्रवार 7: अरुण आदित्य की कविताएं और कमलकांत के रेखांकन

अरुण आदित्य का जन्म 1965 में प्रतापगढ़, उत्तरप्रदेश में हुआ। अवध विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद विधि की पढ़ाई करने इलाहाबाद विश्वविद्यालय का रुख किया, लेकिन इलाहाबाद ने कानून का ‘क’ पढ़ाने के बजाय कविता के ‘क’ में उलझा दिया। सो कानून की पढ़ाई …

Read More »

साधु समाज और राष्ट्रीयता का अंतर्द्वंद्व

साधु समाज पर इतनी गहरी अंतर्दृष्टि वाला लेख पहली बार पढ़ा। आम तौर पर इस विषय को इतिहास, साहित्य में कम ही छेड़ा जाता है। इसको लिखा है नितिन सिन्हा ने। नितिन सिन्हा Leibniz-Zentrum Moderner Orient, बर्लिन में सीनियर रिसर्चर हैं- जानकी पुल। =============== 1930 में, एक साधु जिनका नाम …

Read More »

खुल्लमखुल्ला खुफियागीरी

जाने माने लेखक त्रिलोकनाथ पांडेय का यह लेख उनके प्रिय विषय खुफियागिरी पर है। वे गुप्तचर सेवा के उच्च अधिकारी रहे और आजकल पूर्णरूप से लेखन कार्य में जुटे हैं। =================== पिछली सदी उतर रही थी और नई चढ़ रही थी. लगभग एक साल बाद जनवरी-फरवरी 2001 में प्रयागराज में …

Read More »

आज भी तुलसी दास एक पहेली हैं

कल महाकवि तुलसीदास की जयंती मनाई जा रही थी। प्रेम कुमार मणि का यह लेख कल पढ़ने को मिला। प्रमोद रंजन ने एक ग्रुप मेल में साझा किया था। आप भी पढ़िए। प्रेम कुमार मणि के लेखन का मैं पहले से ही क़ायल रहा हूँ और क़ायल हो गया- ================= …

Read More »

वैद प्रश्न, प्रतिवाद और प्रति-प्रतिवाद के लेखक हैं

आज अनूठे लेखक कृष्ण बलदेव वैद की जयंती है। जीवित होते तो 92 साल के होते। उनके लेखन पर एक सूक्ष्म अंतर्दृष्टि वाला लेख लिखा है आशुतोष भारद्वाज ने। उनका यह लेख ‘मधुमती’ पत्रिका के नए अंक में प्रकाशित उनके लेखक का विस्तारित रूप है। आशुतोष जाने माने पत्रकार-लेखक हैं …

Read More »

खीर: एक खरगोश और बगुलाभगत कथा: मृणाल पाण्डे

प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे आजकल बच्चों को न सुनाने लायक़ बालकथाएँ लिख रही हैं। आज सातवीं कड़ी में जो कथा है उसको पढ़ते हुए समकालीन राजनीति का मंजर सामने आ जाता है। आप भी पढ़कर राय दें- ============================ एक बार की बात है, एक था बगुला, एक था खरगोश। दोनो …

Read More »

ठगिनी नैना क्यों झमकावै

माताहारी का नाम हम सुनते आए हैं। उसकी संक्षिप्त कहानी लिखी है त्रिलोकनाथ पांडेय ने। त्रिलोकनाथ जी जासूसी महकमे के आला अधिकारी रह चुके हैं। अच्छे लेखक हैं। आइए उनके लिखे में माताहारी की कहानी पढ़ते हैं- ================== साल 1917 की बात है. अक्टूबर महीने की 15वीं तारीख की अल-सुबह …

Read More »

पेरियार की दृष्टि में रामकथा

पेरियार ई.वी. रामासामी की किताब ‘सच्ची रामायण’ का प्रकाशन हुआ है। लॉकडाउन के बाद पुस्तकों के प्रकाशन की शुरुआत उत्साहजनक खबर है। पेरियार की दो किताबों के प्रकाशन के साथ राजकमल प्रकाशन ने पाठकोपोयोगी कुछ घोषणाएँ भी की हैं। पहले ई.वी. रामासामी पेरियार की रामकथा पर यह टिप्पणी पढ़िए। अपने …

Read More »