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रचना का समय और रचनाकार का समय

योगेश प्रताप शेखर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं और हिंदी के कुछ संभावनाशील युवा आलोचकों में हैं। रचना के समय और रचनाकार के समय में अंतर को समझने में  यह लेख बहुत सहायक है- ============================ कहते हैं कि साहित्य समय की अभिव्यक्ति है। समय की व्यापकता और उसके …

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कविता शुक्रवार 5: अरुण देव की नई कविताएँ

‘कविता शुक्रवार’ में इस बार अरुण देव की कविताएं और युवा चित्रकार भारती दीक्षित के रेखांकन हैं। अरुण देव का जन्म सन बहत्तर के फरवरी माह की सोलह तारीख़ को कुशीनगर में हुआ, जो बुद्ध का महापरिनिर्वाण स्थल और अज्ञेय की जन्मभूमि है। पितामह रंगून के पढ़े लिखे थे। वे …

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उन्नीसवीं शताब्दी का आख़िरी दशक, स्त्री शिक्षा और देसी विदेशी का सवाल

युवा शोधकर्ता सुरेश कुमार ने 19 वीं शताब्दी के आख़िरी दशकों तथा बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दशकों के स्त्री साहित्य पर गहरा शोध किया है। हम उनके लेख पढ़ते सराहते रहे हैं। आज उनका लेख 19 वीं शताब्दी के आख़िरी दशकों में स्त्री शिक्षा को लेकर चल रही बहसों को …

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ये चराग़ बे-नज़र है ये सितारा बे-ज़बाँ है!

दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह पुरा नायक की तरह रहे हैं, जितनी उपलब्धियाँ उतने ही क़िस्से। अलीगढ़ के मोहम्मडन एंग्लो ओरियेंटल कॉलेज के लिए भी उन्होंने योगदान किया था और वहाँ उन्होंने एक व्याख्यान भी दिया था, जिसके बारे में कम ही लोगों को पता होगा।  प्रोफ़ेसर पंकज पराशर ने उनके …

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कोरोना काल में मध्यवर्गीय खिड़की और बालकनी

सदन झा इतिहासकार हैं, संवेदनशील लेखक हैं। अपने तरह के अनूठे गद्यकार हैं। कोरोना काल के अनुभवों को उन्होंने रचनात्मक तरीक़े से लिखा है- ========================= कोरोना काल में मध्यवर्गीय खिड़की और बालकनी के रास्ते नजर बाहर जाती है। सुनसान पड़ी सड़कें उन्हे बिना देर किए लौटा देती है। यह मन …

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मृणाल पाण्डे की कहानी ‘पिशाचों की पोथी और पंडित की कथा’

प्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डे आजकल बच्चों को न सुनाने लायक बालकथाएँ लिख रही हैं। यह पाँचवीं कड़ी है। इस बार उन्होंने गुणाढ्य और उनके कथाओं के चिरंतन कोष,  बृहत्कथासरित्सागर की बाबत  पर जो किंवदंतियाँ हैं, उनको कथा में ढाला है। एक ऐसा राजा जो झोपड़ी में पैदा हुआ पर चौदह …

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भोपाल क्यों याद करे काॅमेडियन जगदीप को?

प्रसिद्ध अभिनेता जगदीप के निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए यह लेख लिखा है अजय बोकिल ने। वे ‘सुबह सवेरे’ अख़बार के वरिष्ठ संपादक हैं- ======================== कोई फिल्मी या मंचीय किरदार जब जिंदगी की हकीकत से एकाकार हो जाए तो समझिए कि उस कलाकार ने समय पर अपने हस्ताक्षर कर दिए …

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हिंद पॉकेट बुक्स से प्रकाशित होगी प्रियंवद की भारतीय जनतंत्र पर लिखी किताब

हिंद पॉकेट बुक्स, पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया के हिंदी इम्प्रिंट ने सम्मानित लेखक और कथाकार प्रियंवद की नई किताब प्रकाशित करने का अनुबंध किया है। ‘भारतीय लोकतंत्र का कोरस: कुछ बिसरी बिखरी ध्वनियाँ’ के नाम से आनेवाली यह किताब 2021 में प्रकाशित की जाएगी। यह किताब मुख्यत: आज़ादी के बाद …

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कविता शुक्रवार 4: प्रयाग शुक्ल की दस कविताएँ

कविता शुक्रवार के इस अंक में प्रयाग शुक्ल की कविताएं और हेमंत राव के चित्र प्रस्तुत हैं।               कवि, कथाकार, निबंधकार, कला समीक्षक और अनुवादक प्रयाग शुक्ल का जन्म 1940 में कोलकाता में हुआ था। उनके ‘यह जो हरा है’, ‘इस पृष्ठ पर’, ‘सुनयना …

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पूर्वोत्तर अब पराया नहीं रह गया

उमेश पंत युवा लेखक हैं और इसी साल इनकी यात्रा-पुस्तक आई ‘दूर दुर्गम दुरुस्त‘, जो पूर्वोत्तर यात्रा अनुभवों से उपजी पुस्तक है। हिंदी में पूर्वोत्तर को लेकर कम पुस्तकें लिखी गई हैं यह किताब उस कमी को दूर करने वाली है। राजकमल प्रकाशन समूह से प्रकाशित इस पुस्तक का एक …

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