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कथाकार कमलेश्वर : दुष्यन्त कुमार की दृष्टि से

पहले लेखक एक दूसरे के ऊपर खुलकर लिखते थे फिर भी दोस्तियाँ क़ायम रहती थीं। प्रसिद्ध शायर दुष्यंत कुमार ने यह विश्लेषण अपने दोस्त और लेखक कमलेश्वर का किया था। कमलेश्वर की ‘समग्र कहानियाँ’ से ले रहा हूँ जो राजपाल एंड संज से प्रकाशित है- ================================ जिस दिन से कमलेश्वर …

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’90s किड’ की निगाह में बासु चटर्जी का सिनेमा

बासु चटर्जी की फ़िल्मों को आज का युवा वर्ग किस तरह देखता है। 90 के दशक में जन्मा, पला-बढ़ा वर्ग। इसकी एक झलक इस लेख में है। लिखा है दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने वाली भूमिका सोनी ने। मूलतः राजस्थान की रहने वाली भूमिका आजकल बैंगलोर में एक …

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मृदुला शुक्ला की कहानी ‘सगुनी’

कल फ़ेसबुक लाइव में प्रसिद्ध लेखिका प्रतिभा राय को सुन रहा था। उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं लिखा जिसका उनको अनुभव न रहा हो। असल में यह अनुभव लेखक का ऑबजर्वेशन होता है। लेखिका मृदुला शुक्ला की कहानी ‘सगुनी’ पढ़ते हुए यह बात याद आ गई। विस्थापित …

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बेटी रचना की निगाह में राजेंद्र यादव

रचना यादव हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित और विवादास्पद लेखक राजेन्द्र यादव और मशहूर कथालेखिका मन्नू भंडारी की बेटी हैं। रचना ने एडवर्टाइजिंग में मास कम्यूनिकेशन से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। फिर एडवर्टाइजिंग एजेंसी में नौ साल तक नौकरी की। इन्होंने अपनी डिजाइनिंग की हॉबी को पूरा किया। वह कथक डांसर हैं। …

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अलेक्सान्द्र पूश्किन की कहानी ‘डाकचौकी का चौकीदार’

अलेक्सान्द्र पूश्किन की आज जयंती है। महज़ 38 साल की आयु में दुनिया छोड़ देने वाले इस कवि-लेखक की एक कहानी पढ़िए। अनुवाद किया है आ. चारुमति रामदास ने- =============== मुंशी सरकार का, तानाशाह डाकचौकी का  – राजकुमार व्याज़ेम्स्की डाकचौकी के चौकीदारों को किसने गालियाँ नहीं दी होंगी, किसका उनसे …

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‘श्वेत’ बहुत माहौल में ‘अश्वेत’ अनुभव

मिशेल ओबामा की आत्मकथा ‘बिकमिंग’ बेहतरीन किताब है, प्रेरक भी। अल्पसंख्यक(अश्वेत) समाज में पैदा होकर भी आप संघर्ष करते हुए मुख्यधारा में अपनी जगह बना सकते हैं। शिकागो के अश्वेत समुदाय से निकलकर अमेरिका के प्रिंसटन जैसे विश्वविद्यालय में पढ़ना और बाद में राष्ट्रीय फ़लक पर अपना मुक़ाम बनाना। मैंने …

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बच्चों को न सुनाने लायक एक बालकथा:  मृणाल पाण्डे

जानी-मानी लेखिका मृणाल पांडे पारम्परिक कथा-साँचों में आधुनिक प्रयोग करती रही हैं। इस बार उन्होंने एक पारम्परिक बाल कथा को नए बोध के साथ लिखा है और महामारी, समकालीन राजनीति पर चुभती हुई व्यंग्य कथा बन गई है। एक पाठक के तौर पर यही कह सकता हूँ कि महामारी काल …

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बेवफ़ा नायिकाओं का वफ़ादार उपन्यासकार दत्त भारती

फ़िल्म ‘प्यासा’ एक ऐसे शायर की कहानी है जो अपनी पहचान बनाने की जद्दोजहद में है। असल में, इस बात को कम ही लोग जानते हैं कि यह फ़िल्म मूल रूप से उर्दू में लिखे गए एक उपन्यास ‘चोट’ पर बनी थी, जिसके लेखक थे दत्त भारती। हालाँकि इसका क्रेडिट …

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भारतेंदु युग की लेखिका मल्लिका और उनका उपन्यास ‘सौंदर्यमयी’

 भारतेंदु युग की लेखिका मल्लिका को लेखिका कम भारतेंदु की प्रेमिका के रूप में अधिक दिखाया गया है। लेकिन युवा शोधार्थी सुरेश कुमार ने अपने इस लेख में मल्लिका के एक लगभग अपरिचित उपन्यास ‘सौंदर्यमयी’ के आधार पर यह दिखाया है कि बाल विवाह, विधवा विवाह जैसे ज्वलंत सवालों को …

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वैधानिक गल्प:बिग थिंग्स कम इन स्माल पैकेजेज

चंदन पाण्डेय का उपन्यास ‘वैधानिक गल्प’ जब से प्रकाशित हुआ है इसको समकालीन और वरिष्ठ पीढ़ी के लेखकों ने काफ़ी सराहा है, इसके ऊपर लिखा है। शिल्प और कथ्य दोनों की तारीफ़ हुई है। यह टिप्पणी लिखी है जानी-मानी लेखिका वंदना राग ने- जानकी पुल। ============================ ब्रेकफास्ट ऐट टिफ़नीज़  (Breakfast …

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