Home / फिल्म समीक्षा (page 6)

फिल्म समीक्षा

आर्मेनियाई फिल्म ‘वोदका लेमन’ पर श्री का लेख

2003 की आर्मेनियाई फिल्म ‘वोडका लेमन’ पर श्री(पूनम अरोड़ा) का यह लेख उनकी कविताओं की तरह ही बेहद सघन है. पढियेगा- मॉडरेटर ====== जहाँ जीवन और उसके विकल्प उदास चेहरों की परिणीति में किसी उल्लास की कामना करते मिलते हैं. जहाँ यह चाहा जाता है कि गरीबी में किसी एक, …

Read More »

काश बुरके के भीतर लिपस्टिक की बजाय सपना पलता!

फिल्म लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ पर एक अच्छी टिप्पणी युवा लेखिका निवेदिता सिंह की- मौडरेटर ============================================= लिपस्टिक अंडर माए बुरखा फ़िल्म तब से चर्चा में है जबसे से इसका निर्माण शुरू हुआ है पर फ़िल्म ज्यादा चर्चित तब हुई जब रिलीज से पहले फ़िल्म सेंसर बोर्ड में अटक गई। अटकना …

Read More »

जापानी फिल्म ‘इन द रियल्म ऑफ़ द सेन्सेस’ पर श्री का लेख

मुक्त जुनून कामनाओं के सब द्वार खोलता है या कि शांत और अबोधगम्य आकाश के खालीपन में खुद को रिक्त कर देता है? – इन द रियल्म ऑफ़ द सेन्सेस इन द रियल्म ऑफ़ द सेन्सेस नागिसा ओसीमा के निर्देशन में बनी 1976 में प्रदर्शित हुई एक विवादास्पद जापानी फिल्म …

Read More »

दक्षिण कोरियन फिल्म ‘द बो’ और श्री का लेख

श्री(पूनम अरोड़ा) दक्षिण कोरियाई फिल्म निर्देशक किम की डुक की फिल्मों पर पहले भी लिख चुकी हैं. इस बार उनका यह लेख the bow पर है- मॉडरेटर ==================== मुक्त होने और मुक्त करने का सम्मोहन है हथेली पर पिघले मोम की तरह ! अमूर्त सत्य को मूर्त सम्मोहन में बदल …

Read More »

हिंदी मीडियम टाईप होना कब तक हीन भावना का कारण बना रहेगा?

‘हिंदी मीडियम’ फिल्म जब से आई है तब से देख रहा हूँ कि सभी इसके ऊपर लिख रहे हैं. यह एक ऐसी फिल्म साबित हुई है जिसने लाखों लोगों के दिल की बात जैसे कह दी है. आज बिपिन कुमार पाण्डेय का विस्तृत लेख- मॉडरेटर ==================================================== एक हमारे मित्र हैं, …

Read More »

अंग्रेजी एक क्लास है जबकि हिंदी मीडियम

‘हिंदी मीडियम’ फिल्म की ख़ूब तारीफ हो रही है. अपने सब्जेक्ट और अभिनय दोनों ही कारण से. इस फिल्म पर एक विस्तृत लेख निवेदिता सिंह ने लिखा है- मॉडरेटर ========================= “इस देश में अंग्रेजी ज़बान नहीं है, क्लास है” शुक्रवार को रिलीज हुई हिंदी फिल्म “हिंदी मीडियम”का एक डॉयलाग भर …

Read More »

‘सरकार’ में हिमालयन ब्लन्डर कर गए रामगोपाल वर्मा

सरकार 3 आई लेकिन इस श्रृंखला की पिछली दोनों फिल्मों की तरह कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाई. इस फिल्म के ऊपर एक छोटी सी लेकिन अचूक और सारगर्भित टिप्पणी राजीव कुमार ने की है. राजीव कुमार जी फिल्मों के बहुत गहरे जानकार हैं लेकिन लिखते कम हैं. आप भी पढ़िए- …

Read More »

प्रभास को देखते हुए विनोद खन्ना के डील डौल की याद आ रही थी!

बाहुबली फिल्म की अभूतपूर्व सफलता से मुझे जे के रोलिंग के हैरी पौटर की सफलता याद आ रही है. हालाँकि वह किताब थी. खैर इस फिल्म ने भी बड़े पैमाने पर लोगों की कल्पनाओं, उत्सुकताओं को जगा दिया है. बाहुबली फिल्म पर यह लेख विमलेश शर्मा ने लिखा है जो …

Read More »

अमरेन्द्र ही नहीं, शिवगामी और देवसेना भी हैं बाहुबली

इस कठिन समय में जब एक लड़की या औरत क्या पहनेगी,कहाँ जाएगी,किसके साथ घूमेगी इसका निर्णय लेने के लिए भी  स्वतंत्र नहीं वहीं महिशमती राज की दो औरतों को एक राज्य नियंत्रित करते देखना बहुत सुखद है. पढ़िए बाहुबली पर रोहिणी कुमारी का लेख- दिव्या विजय ======================================================== बीते शुक्रवार लोगों …

Read More »

प्रेम में डूबी सब स्त्रियाँ महुआ घटवारिन क्यों हो जाती हैं?

फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी पर बनी फिल्म ‘तीसरी कसम’ के ऊपर बहुत अच्छा लेख लिखा है युवा लेखिका उपासना झा ने- मॉडरेटर ============ मीता! पहली कसम याद है न तुमको। कोई चोरी-चकारी का माल नहीं ले जाना था क्योंकि तुम जानते थे कि ‘ये महल, चौबारे यही रह जाएंगे सारे’। …

Read More »