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फिल्म समीक्षा

मुक्ति-भवन – मोक्ष का वेटिंग रूम

कुछ फ़िल्में ऐसी होती है जो लीक से हटकर होती हैं। जिसे कुछ ख़ास तरह के लोग पसंद करते हैं। ऐसी ही फ़िल्म है मुक्ति भवन। फ़िल्म के बारे में युवा लेखक नागेश्वर पांचाल ने लिखा है। आप भी पढ़िए – सम्पादक ======================================================== गुस्ताव फ्लौबेर्ट कहते है “देयर इज नो …

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अशोक कुमार, उत्पल दत्त से होते हुए रुस्तम के अक्षय कुमार तक आ पहुंचा है

अक्षय जब से उत्कृष्ट अभिनय के लिए राष्टीय पुरस्कार के विजेता घोषित हुए हैं तब से लोग ताज्जुब में हैं. तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं कि उन्हें यह पुरस्कार मिला तो आखिर क्यों मिला? उनके प्रशंसक उनका पक्ष लेते हुए कहते हैं कि अक्षय बहुत मेहनती हैं. इसमें …

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‘अनारकली ऑफ़ आरा’ के निर्देशक के नाम शाजापुर के एक दर्शक का पत्र

अविनाश दास द्वारा लिखित-निर्देशित फिल्म ‘अनारकली ऑफ़ आरा’ को जिस तरह से दर्शकों का प्यार मिला है वह असाधारण है. यह पत्र शाजापुर के एक दर्शक ने निर्देशक के नाम भेजा है. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर =================================================== (एक प्रशंसक ने अविनाश दास को भेजा एक पत्र, जो किसी बड़े-से-बड़े निर्माता …

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चीनी फिल्म ‘रेज द रेड लैंटर्न’ और स्त्रीत्व से जुड़े सवाल

चीनी फिल्म ‘रेज द रेड लैंटर्न’ पर सुश्री श्री श्री का बहुत अच्छा लेख. 1991 की यह फिल्म चीनी समाज की एक पुरानी प्रथा के ऊपर है जिसमें स्त्री सत्ता, स्त्री अधिकारों से सवाल छिपे हुए हैं- मॉडरेटर ====================================== चमत्कृत वैभव में शोकगीत गाता विनाश का प्रारब्ध जिसके तमस में रोशनी …

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तितली के परों को कभी छिलते नहीं देखा उर्फ अनारकली ऑफ आरा

आज मंगल है, बुध, बिफ्फे और बस शुक्कर को अनारकली ऑफ़ आरा रिलीज हो रही है. अविनाश दास की इस फिलिम का सबकी तरह हमें भी बहुत इन्तजार है. इस इंतजारी में फिलहाल युवा लेखक नवनीत नीरव का यह लेख पढ़िए. फिलिम पर नहीं है लेकिन बढ़िया माहौल बनाये हैं- …

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‘रंगून’ फिल्म नहीं एक अतुकांत कविता है

सोशल मीडिया के वर्चस्व के इस दौर में हम जजमेंटल होने की जल्दबाजी में रहते हैं. एक वाक्य में फैसला सुनाकर अगले फैसले की तरफ बढ़ जाते हैं. ‘रंगून’ फिल्म के साथ यही हुआ है. उस फिल्म की आज एक और डिफरेंट रीडिंग दिव्या विजय ने की है- मॉडरेटर ============ …

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देशप्रेम ब्लडी हेल! ‘रंगून’ में प्रेम है प्रेम!

‘रंगून’ फिल्म जब से आई है तब से उसको लेकर कई तरह की व्याख्याएं हो रही हैं. आज मुश्किल यह हो गई है अच्छी या बुरी के इर्द गिर्द ही फिल्मों की सारी व्याख्या सिमट कर रह जाती है. उसके बारे में अलग-अलग पहलुओं को लेकर चर्चा कम ही होती …

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प्रेम की नहीं देशप्रेम की फिल्म है ‘रंगून’

सिनेमा पर लिखता नहीं हूँ लेकिन रिव्यू पढ़कर सिनेमा देखता जरूर हूँ. ‘रंगून’ देखने के बाद यह महसूस हुआ कि रिव्यू पढ़कर कई बार सिनेमा देखने पर यह बुझाता है कि जो लिखा गया था वह तो फिल्म में है ही नहीं. ‘इन्डियन एक्सप्रेस’ समेत सभी बड़े अखबारों ने फिल्म की बड़ी …

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क्या ‘रंगून’ कंगना की सबसे यादगार फिल्म होगी?

‘रंगून’ फिल्म या तो हंटरवाली नाडिया जैसे किरदार के कारण चर्चा में है या कंगना रानाउत के कारण. फिल्म के ट्रेलर, गानों से लेकर फिल्म को लेकर दिए गए अपने इंटरव्यू वगैरह में कंगना ने जिस तरह से बातें की हैं वह ‘रंगून’ को लेकर एक ख़ास तरह की दिलचस्पी …

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क्या ‘रंगून’ की कहानी ‘हंटरवाली’ के जीवन से प्रेरित है?

1930 के दशक के आखिरी वर्षों में ‘हंटरवाली’ के नाम से मशहूर नादिया को एक तरह से हिंदी सिनेमा की पहली आधुनिक अभिनेत्री कहा जा सकता है. इस शुक्रवार रिलीज होने वाली विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘रंगून’ उसी के जीवन से प्रेरित है. फिल्म में कंगना रानाउत का जो कैरेक्टर …

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