डा॰ नामवर सिंह हिंदी साहित्य के शीर्षस्थ आलोचक माने जाते हैं। हिंदी ही नहीं, संपूर्ण भारतवर्ष में लोग इनके असाधारण ज्ञान, विलक्षण तर्कशक्ति और अद्भुत वाक्पटुता का लोहा मानते रहे हैं। डा॰ सिंह ही वो आलोचक हैं, जिन्होंने आलोचना जैसी विधा को एक लोकप्रिय विधा का दर्जा दिलाया। आलोचना …
Read More »स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित
पुरस्कारों के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित हैं। आप भी अपनी प्रविष्टि भेज सकते हैं। स्वयं प्रकाश की स्मृति में दिया जाने वाला सम्मान इस बार कथेतर कृति के लिए दिया जाएगा। दूसरे पुरस्कार के बारे में जानने के लिए कृपया साइट पर जाएँ- =============== सम्मान के लिए तीन निर्णायकों की एक …
Read More »प्रमोद द्विवेदी की कहानी ‘माता जी मत कहो प्लीज…’
प्रमोद द्विवेदी की कहानियों की विषयवस्तु और भाषा दोनों का अपना ही अन्दाज़ है। ‘जनसत्ता’ के फ़ीचर संपदक रहे इस लेखक ने कम लिखा है लेकिन इनके लेखन की अलग ही छाप है। उनकी नई कहानी पढ़िए- ============================== आज मीता जी की किस्मत खराब थी, या कहो दिन ही खोटा …
Read More »सपना भट्ट की प्रेम कविताएँ
आज पढ़िए युवा कवयित्री सपना भट्ट की कविताएँ पढ़िए। समकालीन कवयित्रियों में उसका नाम जाना-पहचाना है। उनकी कविताओं के बारे में क्या लिखूँ वे खुद बोलती हैं। पढ़िए कुछ नई प्रेम कविताएँ- ============================== 1 प्रेम की अहर्ताएं जो कभी फलित नहीं हुई उन प्रार्थनाओं के चिह्न मेरे माथे …
Read More »दीपक शर्मा की कहानी ‘चमड़े का अहाता’
हिंदी की वरिष्ठ लेखिका दीपक शर्मा का इक्कीसवाँ कहानी संग्रह हाल में प्रकाशित हुआ है- ‘पिछली घास’। हिंदी में उनकी कहानियों की चर्चा कम हुई है लेकिन उनकी कहानियों का बहुत अलग मिज़ाज है। आज उनकी कहानी पढ़िए वरिष्ठ लेखिका गगन गिल की भूमिका के साथ- ============================= दीपक शर्मा – …
Read More »‘जूठन’ की काव्यात्मक समीक्षा
यतीश कुमार ने पुस्तकों पर काव्यात्मक टिप्पणी कर अपनी विशेष पहचान बनाई है। आज पढ़िए उनकी अपनी शैली में ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा ‘जूठन’ पर टिप्पणी- =========================== डॉक्टर तुलसी राम की लिखी ‘मुर्दहिया’ और ‘मणिकर्णिका’ पढ़ने के बाद एक आलेख लिखा था। कई मित्रों ने यह सुझाया कि ओमप्रकाश …
Read More »अभिषेक अनिक्का की कविताएँ
आज पढ़िए अभिषेक अनिक्का की कविताएँ। वे कवि, लेखक एवं शोधकर्ता हैं। अंग्रेज़ी एवं हिन्दी में लिखते हैं। आजकल अखबारों और पत्रिकाओं में विकलांगता एवं बीमारी के बारे में लिखते हैं। जीवन के अनुभवों को कविता एवं लेख में बदलते हैं। दरभंगा, बिहार से हैं। पढ़ाई किरोड़ी मल कॉलेज, टाटा …
Read More »इस आवाज़ की अपनी एक कशिश है: प्रयाग शुक्ल
कवयित्री पारुल पुखराज की डायरी ‘आवाज़ को आवाज़ न थी’ पर यह टिप्पणी लिखी है जाने-माने कवि, कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल जी ने। आप भी पढ़ सकते हैं- =========================== पिछले दिनों पारुल पुखराज की पुस्तक ‘आवाज़ को आवाज़ न थी’’ (डायरी) मिली। तो स्वयं डायरी-विधा को लेकर कईं बातें ध्यान …
Read More »मनोहर श्याम जोशी भाषा की हर भंगिमा में माहिर थे!
मनोहर श्याम जोशी जी की आज पुण्यतिथि है। आज उनको याद करते हुए मेरी एक छोटी सी टिप्पणी पढ़िए- प्रभात रंजन ================================== कुछ दिन पहले लेखक-आलोचक-पत्रकार आशुतोष भारद्वाज से बात हो रही थी। बात मनोहर श्याम जोशी के लेखन की होने लगी। मैंने कहा कि जोशी के उपन्यासों में जो …
Read More »वर्तमान भारत न गांधी के सपनों का भारत है और न लोहिया के सपनों का
आज समाजवादी नेता डॉक्टर राम मनोहर लोहिया की जयंती है। इस अवसर पर पढ़िए कुमार मुकुल की लिखी किताब ‘डॉ लोहिया और उनका जीवन दर्शन’ पर युवा कवि देवेश पथ सारिया की टिप्पणी- =============== अपने शीर्षक के अनुरूप ही यह पुस्तक भारत में समाजवाद के अगुआ नेता डॉ राम मनोहर …
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