पंकज सुबीर के कहानी संग्रह ‘चौपड़े की चुड़ैलें’ की कहानियों की पंकज कौरव ने बड़ी अच्छी समीक्षा की है. कई जरूरी मुद्दे उठाये हैं- मॉडरेटर ======================== वैचारिकी रचनाओं की नींव भर होती है. बड़े-बड़े बेमेल पत्थर भी नींव में ऐसे समा जाते हैं कि उनमें एकरूपता का अभाव पता ही नहीं चलता. …
Read More »अमूल्य शब्द पन्द्रह प्रतिशत सस्ते में मिल रहे हैं
अनुकृति उपाध्याय मुंबई में एक अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थान में काम करती हैं, नई जीवन स्थितियों को लेकर ख़ूबसूरत कहानियां लिखती हैं. सिंगापुर डायरी की यह उनकी तीसरी और आखिरी क़िस्त है. कितनी अजीब बात है एक ही शहर को अलग-अलग लेखकों की आँखों से देखने पर शहर अलग-अलग लगने लगता …
Read More »देश प्रेम और राष्ट्रवाद में मूलभूत अन्तर है: उदयन वाजपेयी
वाणी प्रकाशन की पत्रिका ‘वाक्’ का संपादन सुधीश पचौरी करते हैं. पत्रिका के नए अंक में राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बहस का आयोजन किया आया है. इसमें सबसे सुचिंतित लेख मुझे कवि-लेखक-सम्पादक उदयन वाजपेयी का लगा. राष्ट्रवाद और देशभक्ति को बहुत अच्छी तरह हमारे सामने रखता है. आप भी पढ़िए- …
Read More »‘आयाम’ पटना के तीसरे वार्षिकोत्सव की रपट
पटना में लेखिकाओं की संस्था ‘आयाम’ का तीसरा वार्षिकोत्सव संपन्न हुआ. उसकी एक बहुत अच्छी रपट भेजी है युवा लेखक सुशील कुमार भारद्वाज ने- मॉडरेटर ================================== आयाम का तीसरा वार्षिकोत्सव गत दिनों पटना के ए एन कॉलेज के सभागार में साहित्यिक गहमागहमी के बीच सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। आयोजन जितना …
Read More »ध्यान का एक प्रकार है हार्टफुलनेस
आजकल आध्यात्म से जुड़ी किताबें खूब छप रही हैं. वेस्टलैंड ने कुछ दिन पहले ही श्री श्री रविशंकर की जीवनी प्रकाशित की थी जिसकी लेखिका उनकी बहन हैं. अब ध्यान पर आधारत एक किताब वेस्टलैंड से ही आई है ‘द हार्टफुलनेस वे’. लेखक हैं कमलेश डी. पटेल और जोशुआ पोलॉक. …
Read More »प्लास्टिक-पुस्तकों के प्रकाशन की रोचक कहानी
जैसे-जैसे लोगों की जीवन शैली बदल रही है किताबों के रूप भी बदल रहे हैं. फोन ऐप पर किताबों के साथ एक नया ट्रेंड जापान से शुरू हुआ है नहाते समय पढने के लिए प्लास्टिक के पन्नों पर छपी किताबें. आज ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में महेंद्र राजा जैन का लेख इसी …
Read More »मैं उनका शबाब ले बैठी…
शिव कुमार बटालवी आज होते तो 81 साल के होते. पंजाबी के इस अमर कवि को याद करते हुए युवा लेखिका अणुशक्ति सिंह का लेख- मॉडरेटर =========== माये नी माये मैं एक शिकरा यार बनाया उदे सर दे कलगी, ते उदे पैरी झांझर… इन पंक्तियों को लिखने वाला मेरा वह …
Read More »सैराट नहीं देखी है तो धड़क देखी जा सकती है
‘धड़क‘ फिल्म पर अनु रॉय की टिप्पणी- मॉडरेटर ============================= “जो मेरे दिल को दिल बनाती है तेरे नाम की कोई धड़क है ना.” सच है न. बिना प्रेम के हम क्या हम होते जो आज हैं, नहीं. प्रेम में हम रचते हैं ख़ुद को नए सिरे से. हम महबूब बन …
Read More »पंकज कौरव और शनि श्रृंखला की आठ कविताएँ
हम ग्रहों-नक्षत्रों के बारे में बात नहीं करते, बल्कि उसकी तरफ उदासीन रहकर अपनी प्रगतिशीलता जताते रहते हैं और यह नहीं देखते कि समाज पर इनका प्रभाव बढ़ता जा रहा है. पिछले दस-बारह सालों में शनि का प्रभाव समाज पर बढ़ता गया है. जगह-जगह शनि मंदिर बन रहे हैं, शहरों-बाजारों …
Read More »नीरज हिंदी में प्रेम की पीड़ा के सबसे मौलिक कवि थे
नीरज जी को श्रद्धांजलिस्वरूप यह लेख लिखा है युवा कवयित्री उपासना झा ने- मॉडरेटर ===================================================== श्री गोपालदास नीरज हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में एक थे. कविता, प्रेमगीत, दोहों, मुक्तक, गजल सब विधा में उन्होंने खूब लिखा. काव्य-समारोहों में उनकी अपार लोकप्रियता ने उन्हें अपने समय के सबसे ज्यादा पढ़े …
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