Home / Uncategorized (page 16)

Uncategorized

शर्मिला जालान की कहानी ‘रंगरेज़’

शर्मिला जालान इस कोलाहल भरे समय में चुपचाप लेखन कर रही हैं. उनकी कहानियों में बांगला कथा परम्परा की भरी-पूरी सामाजिकता दिखाई देती है. रबीन्द्र संगीत की तान और कहीं कुछ न होने की हूक. उनकी एक कहानी ‘रंगरेज़’ पढ़ते हैं और साथ में उनके नए कथा संग्रह ‘राग-विराग और …

Read More »

कला में जिसे ‘न्यूड’ कहते हैं वह असल में ‘प्योर फीमेल फॉर्म’ है

जम्मू के पहाड़ी क़स्बे पटनीटॉप के कला शिविर की यात्रा हम उपन्यासकार-कथाकार गीताश्री के लगभग काव्यात्मक रपटों के माध्यम से कर रहे. यह समापन क़िस्त है- मॉडरेटर ==================================== चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफिर का नसीब … पक्षी आकाश में कहीं खो चुके हैं, आखिरी बादल भी उड़ा चला …

Read More »

बिकने वाला आर्ट अलग, इतिहास में जाने वाला आर्ट अलग!

गीताश्री के लेखन से मेरा परिचय उनकी रपटों को पढ़कर ही हुआ था. नवभारत टाइम्स से आउटलुक तक. बहुत दिनों बाद पटनीटॉप के कला शिविर को लेकर उनकी रपटें एक के बाद एक पढने को मिल रही हैं. यह तीसरी क़िस्त है- मॉडरेटर ========== आपको अपने सभी सिद्धांतों और विचारों …

Read More »

ब्रश पकड़ने वाली ऊँगलियाँ संसार बनाती हैं, वीरान नहीं करतीं

उपन्यासकार गीताश्री जम्मू के पहाड़ी क़स्बे पटनीटॉप में कला शिविर में हैं और वहां से अपने जीवंत रपटों के माध्यम से हमें भी कला शिविर की सैर करवा रही हैं. दूसरी क़िस्त- मॉडरेटर ================================ लड़कियाँ बना रही हैं तितली, फूल और मकान, लड़के बना रहे थे पहाड़, खेत और ऊँचे …

Read More »

अमृत रंजन की चार नई कविताएँ

क्या अच्छी कविता लिखने की कोई उम्र होती है? क्या लेखन में परिपक्वता का सम्बन्ध उम्र से होता है?  अमृत रंजन की नई कविताएँ पढ़ते हुए मन में यही सवाल उठते रहे. 15 साल की उम्र में अगर किसी कवि के अहसास इतने बेचैन करने लगें तो ओरहान पामुक के …

Read More »

स्वाति श्वेता की कहानी ‘अपाहिज’

स्वाति श्वेता की कहानियाँ कई पत्र-पत्रिकाओं में छप चुकी हैं। पेशे से अध्यापक स्वाति का एक कहानी संग्रह “कैरेक्टर सर्टिफ़िकेट” और एक कविता संग्रह “ये दिन कर्फ़्यू के” प्रकाशित है। अभी स्वाति गार्गी कॉलेज में स्थाई सहायक प्रवक्ता हैं। आज स्वाति श्वेता की कहानी अपाहिज पढ़िए। — अमृत रंजन   …

Read More »

सिक्स वर्ड स्टोरी के दौर में आठ सौ पन्नों का उपन्यास ‘सात फेरे’

चंद्रकिशोर जायसवाल जी के उपन्यास ‘सात फेरे’ के ऊपर जाने माने लेखक, पत्रकार पुष्यमित्र की टिप्पणी- मॉडरेटर =============== आज सुबह चंद्रकिशोर जायसवाल का उपन्यास ‘सात फेरे’ पढ़ कर खत्म किया है. आज के जमाने में 829 पन्नों का उपन्यास पढ़ना किसी के लिये भी धैर्य और एकाग्रता का काम है. खास …

Read More »

‘ऑनलाइन’ प्रतिरोध को ‘ऑफलाइन’ प्रतिरोध से जोड़े जाने की जरुरत है

‘not in my name’ कैम्पेन फिल्मकार सबा दीवान के फेसबुक वाल से शुरू हुआ और देश भर में फैला. सरकार डिजिटल इण्डिया की बात करती है. देश के लोगों ने दिखा दिया कि डिजिटल इण्डिया का क्या मतलब होता है. लेकिन भाषा को लेकर कुछ सवाल उठे. क्या देशी भाषाओं …

Read More »

निर्मल वर्मा के सिंगरौली यात्रा के अनुभव और पर्यावरण के प्रति उनकी चिंता

विकास के नाम पर पर्यावरण के प्रति निर्मम होकर हम जिस तरह इसे नुकसान पहुंचा रहे है उस से हम विस्थापन की समस्या को भी जन्म दे रहे हैं. निर्मल वर्मा के अनुसार हमने पश्चिम की नक़ल करके न सिर्फ अपने पर्यावरण को क्षति पहुंचाई बल्कि अपनी संस्कृति से भी …

Read More »

गौरव अदीब की नज़्में

आज पढ़िए गौरव अदीब की नज़्में – मॉडरेटर ======================================================= 1.  सुनो अमृता, हो सकता है कल बहुत सारे सवालों को टाल जाऊं मैं   दरअसल सवाल बेचैन कर देते हैं मुझे क्योंकि मैं सवालों से ही तो घिरा रहता हूँ हर वक़्त   क्या कुछ सवालों को सवाल नही रहने …

Read More »