डीपीएस पुणे में कक्षा छह में पढ़ने वाले अमृत रंजन ने हमें अपनी कवितायें भेजी तो मैं थोड़ा विस्मित हुआ। 11 साल का लड़का सुंदर भाषा में ऐसी कवितायें लिखता है जिसमें सुंदर की संभावना दिखाई देती है। अगर लिखता रहा तो आगे कुछ बहुत अच्छा लिखेगा ऐसी संभावना दिखाई …
Read More »येल्लो, येल्लो, हम न कहते थे!
‘सबलोग’ पत्रिका के नए अंक में ‘आम आदमी पार्टी’ की सीमाओं और संभावनाओं को लेकर कई महत्वपूर्ण लेख आए हैं। लेकिन सबसे जानदार है यह पत्र जो युवा आलोचक संजीव कुमार ने लिखा है। आप भी देखिये और बताइये है कि नहीं- प्रभात रंजन। ====================================== प्यारे अरविंद जी, जी हां, …
Read More »ढो रहे हैं अपने पूर्वजों का रक्त और वीर्य
हाल में ‘तहलका’ में आए एक लेख के कारण हिन्दी में स्त्री विमर्श फिर से चर्चा में है। प्रसिद्ध रंगकर्मी, लेखिका विभा रानी का यह लेख हालांकि उस संदर्भ में नहीं लिख गया है लेकिन समकालीन स्त्री विमर्श को लेकर इस लेख में कई जरूरी सवाल उठाए गए हैं- जानकी …
Read More »शहर-ए-सिनेमा से अक़ीदत और तहजीब का एक किरदार चला गया!
फारूख शेख को याद करते हुए एक लेख लिखा है सैयद एस॰ तौहीद ने-जानकी पुल ====================================================== फारुक शेख नहीं रहे, जी हां वो चले गए! यूँ अचानक! अब भी दिल नहीं मान रहा कि एक अजीज दुनिया छोड गया है। शहर-ए-सिनेमा से अक़ीदत और तहजीब का एक किरदार चला गया …
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