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भीड़, जनसमुदाय और राजनीति अन्‍ना के बहाने

युवा इतिहासकार सदन झा हर चीज़ में कुछ नया, कुछ अलग देखते हैं. हमारे देखे हुए को, सुने हुए को एक लग अंदाज़ में दिखाते-सुनाते हैं. लोककथाओं की शैली में गहरी विद्वत्ता झलकती है. अब भीड़ के बहाने यही लेख देखिये- जानकी पुल.  अरे रे राष्ट्रियश्‍यालक! एह्येहि स्‍वस्‍याविनयस्‍य फलमनुभव। (तत: …

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भारतीय अंग्रेजी साहित्य का तीसमारखां

अपनी प्रेमिकाओं, शादियों, तलाक और विवादस्पद बयानों के लिए लगातार चर्चा में रहने वाले सलमान रुश्दी ने ३० साल पहले एक उपन्यास लिखा था ‘मिडनाईटस चिल्ड्रेन’, जिसने भारतीय अंग्रेजी साहित्य का परिदृश्य ही बदल दिया था. अब उस उपन्यास पर दीपा मेहता की फिल्म आने वाली है. ३० सालों में उस …

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वह गाँधी के पीछे-पीछे गया कुछ दूर

कल मेरे प्रिय कवि बोधिसत्व का जन्मदिन है. बोधिसत्व की कविताओं में वह दिखाई देता है, सुनाई देता है जो अक्सर दृश्य से ओझल लगता है. गहरी राजनीतिक समझ वाले इस कवि की कविताओं वह कविताई भी भरपूर है जिसे रघुवीर सहाय सांसों की लय कहते थे. उनकी नई कविताएँ …

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