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याद आए वे दिन जब अकेला नहीं था

आज अपने हमनाम कवि प्रभात की कविताएँ. कविता समय सम्मान की बधाई के साथ. वे मूलतः कवि हैं, मैं भूलत. जीवन के बीहड़ गद्य की गहरी संवेदना के इस कवि की कविताओं में न जाने क्या है जो मुझे बार-बार अपनी ओर खींचता है. आप भी पढ़िए- प्रभात रंजन अपनों …

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किस तआल्लुक का सिला देता है

नसीम अजमल मूलतः गणितज्ञ हैं, फज़ी लॉजिक के विद्वान. लेकिन उर्दू शायरी में उनका अपना ही मुकाम है. अपना बयान, अपनी पहचान. हिंदी वाले उनकी शायरी के रंग खूब पहचानते हैं. एक ऐसा शायर जिसने अपने अहद को उदास होने के अंदाज़ सिखाए. पेश हैं उनकी ताज़ा ग़ज़लें– जानकी पुल. …

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लिखना समय के प्रवाह के विरुद्ध

अपनी कहानियों और कश्मीर की पृष्ठभूमि पर लिखे गए उपन्यास ‘शिगाफ’ के कारण चर्चा में रहनेवाली लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ किसी परिचय की मोहताज़ नहीं हैं. प्रस्तुत है उनकी रचनाप्रक्रिया– जानकी पुल. आज साहित्य – जगत अति विषम – ध्रुवीयकण से ग्रस्त है. लिखना, समय के प्रवाह के विरुद्ध बहने जैसा …

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