Recent Posts

एकदम खाली है राहुल गांधी की बंडी की जेब

   युवा-कवि उमाशंकर चौधरी की कविताओं का एक अपना राजनीतिक मुहावरा है, जो उन्हें समकालीन कवियों में सबसे अलगाता है. वे विचारधारा के दवाब से बनी कविताएँ नहीं हैं, उनमें आम जन के सोच की अभिव्यक्ति है. इस कवि की कुछ कविताएँ, आज के राजनीतिक माहौल में जिनकी प्रासंगिकता समझ …

Read More »

फिराक गोरखपुरी की एक दुर्लभ कहानी ‘दही का बर्तन’

  आज उर्दू के मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी का जन्मदिन है.  उनके गज़लों, नज्मों, कतओं से तो हम सब बखूबी परिचित रहे हैं लेकिन उनकी कहानियों के बारे में हमारी मालूमात ज़रा कम रही है. उनकी नौ कहानियों का एक संकलन भी उनके मरने के बाद प्रकाशित हुआ था. वे कैसी कहानियां …

Read More »

हिन्दी कविता के दो दशक– चेहरे, मुखौटे और चश्मे

समकालीन कविता क्या अपने समय-समाज का रूपक है? क्या समकालीन कवि आधुनिक हिंदी कविता की छायाओं से मुक्त हो चुका है? क्या देश की बदलती राजनीति को समकालीन कविता के माध्यम से समझा जा सकता है? अशोक कुमार पांडे का यह लेख कुछ ऐसे ही विचारोत्तेजक सवालों को उठाता है- …

Read More »