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प्रोफ़ेसर से तमाशगीर

आजकल एनडीटीवी की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है. ‘संडे गार्डियन’ ने उसके आर्थिक घपलों पर स्टोरी की है, उसके एक वरिष्ठ पत्रकार को राडिया टेप में जोड़-तोड़ करते सुना गया है. १९९४ में समाजवादी विचारक किशन पटनायक ने प्रणय राय के फिनोमिना पर यह लेख लिखा था. जो आज …

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आठ तारीख आठ लेखक आठ उपन्यास

दो सालों से हिंदी में उपन्यासों को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही थी. चर्चा के केद्र में नए-नए कथा-कथा लेखक आ गए थे. कुछ पुरनिया इनको सर पर बिठाए फिर रहे थे, कुछ मिनरल वाटर पी-पे कर कोस रहे थे. ऐसे में एक साथ आठ उपन्यास प्रकाशित करके लगता …

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थोडी हकलाहट थोडी सी बेबाकी

आज राकेश श्रीमाल की कविताएँ. संवेदनहीन होते जाते समय में उनकी कविताओं की सूक्ष्म संवेदनाएं हमें अपने आश्वस्त करती हैं कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है.  राकेश श्रीमाल मध्‍यप्रदेश कला परिषद की मासि‍क पत्रिका ‘कलावार्ता’ के संपादक, कला सम्‍पदा एवं वैचारिकी ‘क’ के संस्‍थापक मानद संपादक के अलावा …

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