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मंच के हंस : बलबीर सिंह रंग

हिंदी की मंचीय कविता को लोकप्रिय बनाने वाले कवियों में बलवीर सिंह रंग का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. ‘रंग का रंग ज़माने ने बहुत देखा है/ क्या कभी आपने बलवीर से बातें की हैं’ जैसे गीत लिखने वाले इस कवि की यह जन्मशताब्दी का साल है. इस अवसर …

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मुंबई की अँधेरी दुनिया और ‘सेक्रेड गेम्स’

विक्रम चंद्रा भारतीय-अंग्रेजी लेखन के ‘बूम’ के दौर के लेखक हैं. १९९५ में जब उनका उपन्यास ‘रेड अर्थ पोरिंग रेन’ प्रकाशित हुआ था तो उसने उनको अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलवाई. अरुंधति रे से पहले के दौर के भारतीय अंग्रेजी लेखकों में उनको सबसे संभावनाशील लेखकों में माना जाता था. बाद में …

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क्या यही भविष्य है भारत का ?

आज युवा कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा की कविताएँ- ‘मृत्यु’ जिसका अर्थ मैंने बाबूजी से पूछा था जाने कहाँ चले गये बिना उत्तर दिये शायद खेतों की ओर नहीं, स्कूल गये होंगे आज सात साल, तीन महीना और बीसवाँ दिन भी बीत गया लौट कर नहीं आये क्या मृत्यु इसी को …

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