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शताब्दी का लेखक भुवनेश्वर

अभिशप्त होकर जीनेवाले और विक्षिप्त होकर मरनेवाले लेखक भुवनेश्वर की यह जन्मशताब्दी का साल है. ‘ताम्बे के कीड़े’ जैसे एकांकी और ‘भेडिये’ जैसी कहानी के इस लेखक के बारे में उसे पढ़नेवालों का कहना है कि हिंदी में एक तरह से उस आधुनिक संवेदना का विकास भुवनेश्वर की रचनाओं से …

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ये लोकतंत्र के महामठ की चंद सीढियां हैं

तुषार धवल की कविताओं में वह विराग है जो गहरे राग से पैदा होता है. लगाव का अ-लगाव है, सब कुछ का कुछ भी नहीं होने की तरह. कविता गहरे अर्थों में राजनीतिक है, उसकी विफलता के अर्थों में, समकालीनता के सन्दर्भों में. सैना-बैना में बहुत कुछ कह जाना और …

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एक राष्ट्र के रूप में हम संकट में हैं

सीएनएन-आईबीएन की पत्रकार रूपाश्री नंदा से बातचीत करते हुए लेखिका अरुंधती राय ने कहा कि उनको इस बात की कभी उम्मीद नहीं थी कि विनायक सेन के मामले में फैसला न्यायपूर्ण होगा. लेकिन वह इस कदर अन्यायपूर्ण होगा ऐसा भी उन्होंने नहीं सोचा था. बातचीत में उन्होंने आतंक और हिंसा …

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