Recent Posts

‘जूठन’ की काव्यात्मक समीक्षा

यतीश कुमार ने पुस्तकों पर काव्यात्मक टिप्पणी कर अपनी विशेष पहचान बनाई है। आज पढ़िए उनकी अपनी शैली में ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा ‘जूठन’ पर टिप्पणी- ===========================   डॉक्टर तुलसी राम की लिखी ‘मुर्दहिया’ और ‘मणिकर्णिका’ पढ़ने के बाद एक आलेख लिखा था। कई मित्रों ने यह सुझाया कि ओमप्रकाश …

Read More »

लाख दा’वे किये ख़ुदाई के–एक फ़िरऔन भी ख़ुदा न हुआ

जनाब सुहैब अहमद फ़ारूक़ी पुलिस अफ़सर हैं, अच्छे शायर हैं। उस्ताद शायरों जैसी सलाहियत रखते हैं। आज एक शेर में आए लफ़्ज़ के बहाने पूरा लेख लिख दिया। आप भी पढ़िए- ====================================  लाख दा’वे किये ख़ुदाई के–एक फ़िरऔन भी ख़ुदा न हुआ   यह शे’र तो ख़ैर मेरा है। अभी …

Read More »

‘न’ पर ‘आ’ की मात्रा ‘ना’!

हाल में ही नामवर सिंह की जीवनी आई थी ‘अनल पाखी’, जिसके लेखक हैं युवा लेखक अंकित नरवाल। आज नामवर जी की जयंती पर पढ़िए इस जीवनी का पहला अध्याय जो उनके शुरुआती जीवन को लेकर है- ============================== जीवनारंभ… जन्म को मिला ‘जीयनपुर’ कैसा था यह जीवन? बनारस की आबोहवा …

Read More »