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‘दिल्ली में पैसा है। गांव में कुछ भी नहीं’

कुछ महीने पहले बिहार के सिवान में ‘कथा शिविर’ का आयोजन किया गया था. जिसमें कई पीढ़ियों के लेखकों ने हिस्सा लिया. लेखक-लेखिकाओं ने वहां के जीवन को करीब से देखा और बाद में अपने लेखन में याद किया. यहाँ प्रसिद्ध लेखिका वंदना राग का रागपूर्ण स्मरण, जिसमें हर्ष भी …

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संजय चतुर्वेदी की चुनिन्दा कविताएं

आज संजय चतुर्वेदी की कवितायेँ. 90 के दशक में इनकी कविताओं ने कविता की भाषा बदली थी, संवेदना का विस्तार किया था. मुझे याद है ‘इण्डिया टुडे‘ के साहित्य वार्षिकांक में इनकी एक कविता छपी थी जिसमें एक पंक्ति थी ‘इण्डिया में एक सेंटर है जो इन्टरनेशनल है‘. बहुत चर्चा …

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दक्षिण कोरियाई फ़िल्म निर्देशक किम की-डुक की पंचतत्वीय अक्षुण्ण गाथा

कुछ दिन पहले हम ने श्री श्री की कविताएं पढ़ी थीं. आज उन्होंने प्रसिद्ध कोरियन फिल्म निर्देशक किम की डुक की पांच फिल्मों का सूक्ष्म विश्लेषण किया है. पढियेगा- मॉडरेटर  ==================================================== सिनेमाई सौंदर्य को कठोर धरातल पर एक महीन दार्शनिक विद्वता के साथ समानांतर ले चलते हुए उस बोध पर …

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