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स्वप्निल तिवारी की ग़ज़लें

कुछ लोग बंधे बंधाये मीटर में ग़ज़लें लिखते हैं, कुछ उस मीटर में भाषा को बदल कर उसे ताज़ा बना देते हैं. स्वप्निल तिवारी की ग़ज़लें ऐसी ही हैं. उनका एक ग़ज़ल संग्रह है ‘चाँद डिनर पर बैठा है‘. कुछ ग़ज़लें उसी संग्रह से से. उम्मीद करता हूँ कि आपको …

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सत्यानंद निरुपम से बातचीत

सत्यानंद निरुपम से आप असहमत हो सकते हैं, उससे लड़ सकते हैं लेकिन आप उसको खारिज नहीं कर सकते. वह हिंदी संपादन में न्यू एज का प्रतिनिधि है, कुछ लोग नायक भी कहते हैं. लेकिन हिंदी पुस्तकों की दुनिया की बंद गली के आखिरी मकान का दरवाजा खोलने और ताजा …

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अब्बास से जुडी उनके नवासे मंसूर रिजवी की यादें

कल ख्वाजा अहमद अब्बास का जन्मदिन था. आज उनसे जुड़ा एक रोचक संस्मरण. प्रस्तुति सैयद एस. तौहीद की है- मॉडरेटर  ============ मेरी परवरिश बंबई के उसी घर में में हुई,जहां बाबा रहा करते थे। अब्बास साहब को हम मुहब्बत से ‘बाबा’ ही पुकारा करते थे। जुहु के उनके मकान में …

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