हाल में ही राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित उपन्यास ‘माहिम में क़त्ल’ का मुंबई में लोकार्पण …
Read More »एक अनुशासनहीन फेंटेसी है ‘अँधेरे में’
पिछले साल मुक्तिबोध की मृत्यु की अर्ध-शताब्दी थी. इस मौके पर उनके ऊपर खूब कार्यक्रम हुए, थोक के भाव में उनकी रचनाओं को लेकर लेख सामने आये. लेकिन दुर्भाग्य से, किसी लेख में कोई नई बात नहीं दिखी. लगभग सारे लेखों को पढने के बाद यह कह सकता हूँ कि …
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