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अपनी निरर्थकता में संदिग्ध अस्वीकार

उदय प्रकाश ने जब से साहित्य अकादेमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है बहस का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा. इसकी शुरुआत वरिष्ठ कवि-आलोचक विष्णु खरे के एक लेख से हुई थी. कल आपने अरुण महेश्वरी का लेख पढ़ा, आज फिर विष्णु खरे की प्रतिक्रिया- मॉडरेटर  ========================== श्री उदय …

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उनकी हँसी एक नाचीज लेखक पर शक्तिशालियों की हँसी है!

उदय प्रकाश द्वारा साहित्य अकादेमी पुरस्कार वापस करने की घोषणा पर अनेक तरह की प्रतिक्रियाएं आई. अधिकतर विद्वानों ने उनके इस निर्णय का स्वागत किया, जबकि कुछ विद्वानों ने इसे उनकी भूरि-भूरि निंदा करने के एक और अवसर के रूप में लिया. आज जाने-माने लेखक अरुण महेश्वरी के विचार जानते …

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यह अवसर वाद-वाद खेलने का नहीं है मिलकर प्रतिवाद करने का है!

कन्नड़ लेखक कलबुर्गी की नृशंस हत्या ने एक ऐसा अवसर पैदा किया है कि हिंदी लेखक वाद-वाद खेलने में जुट गए हैं. हालाँकि इस घटना का प्रतिरोध हिंदी लेखकों में जिस कदर दिखाई दे रहा है उससे यह आश्वस्ति होती है कि हिंदी की प्रतिरोध क्षमता अभी कम नहीं हुई …

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