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“स्वतंत्रता” शब्द गुलामी से उपजता है!

आज सुबह एक अच्छी और सार्थक बातचीत पढ़ी. गीताश्री हमारे समय की एक महत्वपूर्ण कथाकार हैं, पत्रकार हैं. उनकी यह बातचीत ‘अर्य सन्देश’ नामक पत्रिका में छपी है. बिहार झारखण्ड मूल की स्त्री कथाकारों पर केन्द्रित पत्रिका के इस अंक का सुघड़ संपादन किया है राकेश बिहारी ने. बातचीत की …

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कविता एवं कला महोत्सव, शिमला में मिलते हैं !

साहित्य-कला उत्सवों के दौर में यह अपने तरह का पहला आयोजन है-कविता एवं कला महोत्सव, शिमला. लिटरेचर फेस्टिवल्स के दौर में बिना किसी प्रयोजन के यह आयोजन सहभागिता के आधार पर है. जून का महीना शिमला में पीक टूरिस्ट सीजन होता है, ऐसे में 13-14 जून को वहां रहने और …

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सेल्फी के जमाने में ‘बॉलीवुड सेल्फी’

जब से फिल्म समीक्षक पी.आर. एजेंसी के एजेंट्स की तरह फिल्मों की समीक्षा कम उनका प्रचार अधिक करने लगे हैं तब से सिनेमा के शैदाइयों के फिल्म विषयक लेखन की विश्वसनीयता बढ़ी है. मुझे दिलीप कुमार पर लार्ड मेघनाथ देसाई की किताब अधिक विश्वसनीय लगती है या राजेश खन्ना की …

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