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आलोचकों की लीला आलोचक जानें- मृणाल पाण्डे

वरिष्ठ लेखिका, लब्धप्रतिष्ठ पत्रकार मृणाल पाण्डे से बड़े दिनों बाद एक लम्बी बातचीत पढ़ी. अंजुम शर्मा के साथ इस बातचीत में मृणाल जी ने बड़े बेबाक तरीके से जवाब दिए हैं. ‘नया ज्ञानोदय’ में प्रकाशित यह बातचीत आपके लिए- मॉडरेटर  ============================= मृणाल जी जिस दौर में आपने लिखना शुरू किया …

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क्या कैलाश वाजपेयी हिंदी के लिए ‘आउट ऑफ़ कोर्स’ कवि थे?

जब से कैलाश वाजपेयी के निधन के बारे में सुना तब से उनके बारे में लिखने की सोच रहा था. लेकिन क्या लिखूं? यह बड़ा सवाल था. हिंदी का विद्यार्थी रहा हूँ. यही पढता आया हूँ कि ‘प्रतिबद्ध’ और ‘कलाबद्ध’ ये दो बड़े कैनन हैं हिंदी कविता के विकास को …

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इत्ती-इत्ती किताबें किसके लिए छपती हैं?

हिंदी में किताबों की दुनिया का विस्तार हो रहा है. यह बड़ी सुखद बात है. लेकिन कंटेंट को लेकर घालमेल बढ़ता जा रहा है यह चिंता की बात है. शिक्षाविद कौशलेन्द्र प्रपन्न का लेख इन्हीं चिंताओं को लेकर है- मॉडरेटर  =================================================================== पुस्तकें होती ही हैं पाठकों के लिए। और लेखक …

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