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मल को कमल बनानेवाले पुराणकार आचार्य रामपदारथ शास्त्री की जय हो!

आलोचक संजीव कुमार इन दिनों किसी ‘सबलोग’ नामक पत्रिका में व्यंग्य का एक शानदार स्तम्भ लिखते हैं ‘खतावार’ नाम से. अब चूँकि वह पत्रिका कहीं दिखाई नहीं देती है इसलिए हमारा कर्त्तव्य बनता है कि अनूठी शैली में लिखे गए इन व्यंग्य लेखों को आप तक पहुंचाएं. यह नया है …

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वीभत्स रस और विश्व सिनेमा

युवा लेखक प्रचण्ड प्रवीर इन दिनों बहुत रोचक ढंग से नौ रस के आधार पर विश्व सिनेमा का अध्ययन कर रहे हैं. आज वीभत्स रस के आधार पर विश्व सिनेमा की कुछ महत्वपूर्ण फिल्मों का विश्लेषण प्रस्तुत है- मॉडरेटर  =================== इस लेखमाला में अब तक आपने पढ़ा: 1.                  भारतीय दृष्टिकोण …

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‘कई चाँद थे सरे आसमां’ के बहाने कुछ मौजू बातें

हाल के बरसों में जिस एक उपन्यास ने बड़ी सरगर्मी पैदा की वह शम्सुर्ररहमान फारुकी का उपन्यास ‘कई चाँद थे सरे आसमां‘ है. मूल रूप से उर्दू में लिखे गए इस उपन्यास के हिंदी और अंग्रेजी संस्करणों की भी धूम मची. इस उपन्यास पर युवा लेखक शशिभूषण द्विवेदी ने एक बढ़िया …

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