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ममता सिंह की कहानी ‘धुंध’

रेडियोसखी ममता सिंह खूबसूरत कहानियां भी लिखती हैं. अभी हाल में ही एक पत्रिका में उनकी कहानी पढ़ी- ‘धुंध’. आज आपके लिए प्रस्तुत है यह छोटी सी कहानी, हमारे-आपके जीवन के टुकड़े की तरह- मॉडरेटर. =================================================== शिप्रा रात भर सो नहीं पाई थी, आंखों के सामने पार्टी की तैयारियों के …

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प्रशासनिक सेवाओं में भारतीय भाषाओं के साथ सौतेला व्यवहार क्यों?

यूपीएससी की परीक्षाओं में भारतीय भाषाओं के साथ भेदभाव को लेकर चल रहे आन्दोलन पर सरकारी आश्वासन एक बाद फिलहाल विराम लग गया. लेकिन अखिल भारतीय सेवाओं में भारतीय भाषाओं के साथ भेदभाव का इतिहास पुराना है. वरिष्ठ लेखक, शिक्षाविद प्रेमपाल शर्मा के इस लेख को पढ़कर उस भेदभाव का इतिहास समझ …

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मधुकर सिंह सचमुच जनता के लेखक थे

मैं आरा को नहीं धरहरा, आरा को जानता था, क्योंकि वहां मधुकर सिंह रहते थे. अपने गाँव में रहते हुए जब उनकी कहानियां पढता था तो लगता था अपने गाँव के टोले-मोहल्ले की कहानियां पढ़ रहा हूँ. बाद में जब कहानियां लिखना शुरू किया तो उसके पीछे कहीं न कहीं …

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